राजगीर बनेगा ज्ञान और संस्कृति का केंद्र, होगा परंपराओं का आदान-प्रदान : मुख्यमंत्री
सिटी पोस्ट लाइव : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज रत्नागिरी पर्वत पर विश्व शांति स्तूप के 49वें वार्षिकोत्सव समारोह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोगों के लिए यह प्रसन्नता की बात है कि हर वर्ष विश्व शांति स्तूप के स्थापना दिवस के अवसर पर एक वृहद कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, जिसमें कई बार मुझे भी शामिल होने का अवसर प्राप्त हुआ है। आज के दिन 1969 में राजगीर में फूजी (गुरुजी) की परिकल्पना के अनुरुप तत्कालीन राष्ट्रपति श्री वीवी गिरी ने इसका उद्घाटन किया था। उस समय राजगीर में बड़े सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें आचार्य बिनोवा भावे, लोकनायक जयप्रकाश नारायण जैसे लोगों ने भी हिस्सा लिया था। उस समय मैं विद्यार्थी हुआ करता था और उसी वर्ष यहाॅ पहला रोप-वे बना था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खूजी (गुरुजी) का गांधी जी से बेहतर संबंध था। आजादी की लड़ाई के दौरान वे गांधी जी से मिले थे। गांधी जी के अहिंसक तरीके से आजादी की लड़ाई से वे काफी प्रभावित थे। गांधी जी वर्ष 1917 में चंपारण आए। उन्होंने निलहों पर हो रहे अत्याचार से मुक्ति दिलायी। गांधी जी का देश में प्रभाव इतनी तेजी से बढ़ा कि चंपारण सत्याग्रह के 30 वर्षों में ही देश को आजादी मिल गई। हाल ही में जापान यात्रा के दौरान भारत के राजदूत ने बताया था कि गांधी जी के तीन बंदर- बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो का आईडिया खूजी (गुरुजी) ने ही दिया था। यह शांति, अहिंसा एवं सद्भाव को दर्शाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले विश्व शांति स्तूप की स्थापना राजगीर में की गई। यहां सामने गृद्धकूट पर्वत है। ज्ञान प्राप्ति के पहले राजगीर में सिद्धार्थ के रुप में बुद्ध यहां आए थे। बोधगया में ज्ञान प्राप्ति के बाद वे राजगीर आते थे और यहां वेणु वन में निवास करते थे। यहीं
गृद्धकूट पर्वत पर उपदेश दिया करते थे। यह अपने आप में ऐतिहासिक जगह है। यहां से भगवान महावीर का भी संबंध रहा है, मखदूम साहब, गुरुनानक साहब भी यहां आए थे। हिंदू धर्म का यहां लगने वाला मलमास मेला अपने आप में प्रसिद्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व स्तूप का शिलान्यास तत्कालीन राष्ट्रपति श्री सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था और इसका उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति श्री वी0वी0 गिरी ने किया था।
अगले वर्ष 50वें वार्षिकोत्सव समारोह को धूमधाम से मनाया जाएगा, जिसमें भारत के राष्ट्रपति भी शामिल होंगे। आप लोगों ने उनका निमंत्रण मुझे सौंपा है। अगले वर्ष बापू की 150वीं जयंती भी मनायी जाएगी, यह एक सुखद संयोग है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर मगध की पहली राजधानी थी। बिंबिसार और अजातशत्रु की भूमिका यहां से जुड़ी रही है। जरासंध का अखाड़ा यहां आज भी मौजूद है। बगल में नालंदा विश्वविद्यालय का रिवाइवल हो रहा है, जिसमें जापान का भी सराहनीय योगदान है। नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में कई विषय पढ़ाए जाएंगे और यह एक कंप्लीट रिजॉयुलुशन सेंटर भी बनेगा। वर्तमान परिदृश्य में दुनिया में शांति और सद्भाव स्थापित करने के लिए यह केंद्र उपयोगी होगा।
राजगीर में घोड़ाकटोरा में 50 फीट की बुद्ध की प्रतिमा लगभग बनकर तैयार है। राजगीर में जू सफारी, ग्रिन सफारी बनाए जा रहे हैं। विश्व शांति स्तूप के अलावा अन्य स्थलों का भी पर्यटक दर्शन कर सकेंगे। पर्यटकों की सुविधाओं के लिए हमलोग हमेशा कोशिश करते रहते हैं। वर्ष 2005 में कार्यभार संभालने के बाद से हमलोग इसके लिए प्रयासरत रहे हैं। वर्ष 2009 में पटना के बाहर पहली बार विश्व शांति स्तूप के बगल में राज्य परिषद मंत्रीमंडल की बैठक हुई थी। उसी समय एक नया रोप-वे बनाने का निर्णय भी लिया गया था, जिसका निर्माण कार्य जारी है। अगले वर्ष तक उम्मीद है कि वो बनकर तैयार हो जाएगा। इसके अलावा सीढ़ी को ठीक करने तथा अन्य सीढ़ीयों के निर्माण का भी निर्णय लिया गया था।
अभी रोप-वे के नीचे पार्किंग स्थल पर डीलक्स टॉयलेट का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया है। शांति स्तूप पर पर्यटकों हेतु शुद्ध पेयजल के लिए दो वाटर ए0टी0एम0 लगाये जा रहे हैं। रोप-वे से शांति स्तूप वाले क्षेत्र को नो प्लास्टिक जोन घोषित किया गया है। इसके अलावा
और भी कई काम किए जा रहै हैं। हमलोग बापू एवं बुद्ध के पर्यावरण के प्रति संदेश को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण के लिए भी कई काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में वे जापान गए थे जहां नारा में टोडा जी मंदिर का उन्होंने दर्शन किया था। यहां भगवान बुद्ध की मूर्ति लगी हुई है, जिस समय इसकी स्थापना की गई थी, उस समय यहां के एक संत बोधिसेन जी वहां गए थे।
मेरी जापान यात्रा के दौरान नारा प्रांत और बिहार को सिस्टर स्टेट के रुप में डेवलप करने का निर्णय भी लिया गया है। बिहार में बोधगया, वैशाली, राजगीर बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए विशिष्ट है। हमारा भी मानना है कि बौद्ध मतावलंबी देशों का एक इंटरनेशनल लिंक बनना चाहिए। गया में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर रेग्युलर फ्लाईट की व्यवस्था हो जाने से विदेशी लोग आसानी से आ सकते हैं। गया और पटना के बीच बेहतर सड़क के निर्माण से कुछ दिनों में राजगीर आने में एक से सवा घंटे का समय लगेगा। मुख्यमंत्री ने पटना-गया एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए जापान को धन्यवाद भी दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बुद्धिस्ट प्लेस को लिंक करने के लिए सेमी हाई स्पीड ट्रेन के माध्यम से जोड़ने की योजना है। इसके लिए जापान के एक्सपर्ट टीम ने बिहार आने की सहमति दी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना में बुद्ध स्मृति पार्क बनाया गया है। यहां बुद्ध से जुड़ा म्यूजियम एवं बिपष्यना केंद्र है, बुद्धिज्म का अध्ययन करने के लिए इंस्टीच्यूट का निर्माण करने का भी निर्णय लिया गया है। छह देशों से अवशेष मंगवाकर यहां करुणा स्तूप बनाया गया है। अनुराधापुरम एवं श्रावस्ती से बोधिवृक्ष मंगाया गया और बुद्ध की प्रतिमा के बगल में इसे लगाया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैशाली में बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय का निर्माण कराया जाएगा। यहां जो स्तूप बनेगा वह पत्थर का होगा, जिसमें ऑथेंन्टिक रेलिक्स रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर ज्ञान, संस्कृति, दर्शन का ऐसा केंद्र बनेगा, जहां प्राचीन परंपराओं का आदान-प्रदान होगा। उन्होंने कहा कि महाबोधि मंदिर की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने जापान में आई आपदा पर दुख व्यक्त किया और जापान के लोगों की इन विकट परिस्थियों से निपटने में दृढ़ इच्छा शक्ति की तारीफ की। मुख्यमंत्री ने आयोजन समिति को बेहतर आयोजन के लिए धन्यवाद दिया और अंत में खूजी (गुरु जी) के प्रति अपना आभार प्रकट किया।
मुख्यमंत्री ने जापान के बौद्ध संघ निप्पोनजान म्योहोजी के प्रमुख भिक्षु कज्यूओदा जी को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री का स्वागत अंगवस्त्र, प्रतीक चिन्ह एवं पुस्तक भेंटकर किया गया। मुख्यमंत्री को अगले वर्ष स्तूप के 50वें वार्षिकोत्सव समारोह के लिए राष्ट्रपति का निमंत्रण पत्र आयोजन समिति द्वारा सौंपा गया। मुख्यमंत्री ने समारोह के उपरांत माई स्टांप काउंटर का भी उद्घाटन किया। समारोह को सीजीसी जापान की कंपनियों के समूह के अध्यक्ष श्री आत्सुहीरो होरीउची, पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार, भारत के पूर्व विदेश सचिव एवं राजदूत ललित मानसिंह ने भी संबोधित किया।
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