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नीतीश कुमार से अभी भी ना-उम्मीद नहीं हुई है कांग्रेस, RJD के पोस्टर्स की नेता कर रहे निंदा

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नीतीश कुमार से अभी भी ना-उम्मीद नहीं हुई है कांग्रेस, RJD के पोस्टर्स की नेता कर रहे निंदा

सिटी पोस्ट लाइव : बीजेपी के नेताओं को देश के पीएम को चोर कहने में , रक्षा सौदे को ( राफेल ) लेकर पीएम मोदी की ईमानदारी को लेकर सवाल उठाने में खूब मजा आ रहा है. राफेल डील से जुड़े सवाल केजबाब  देने पर 5 करोड़ का अवार्ड देने का एलान करनेवाले पोस्टर्स पटना में हर जगह नजर आ रहे हैं. लेकिन जब आरजेडी ने इसी तरह का पोस्टर्स जब अपने विरोधी नीतीश कुमार के लगाए तो कांग्रेस के नेता क्यों तिलमिला गए? क्यों आरजेडी को राजनीतिक सुचिता का ध्यान रखने की क्यों नसीहत देने लगे?

दरअसल, आरजेडी के दफ्तर के बाहर तेजस्वी के समर्थकों ने एक पोस्टर लगा दिया है. इस पोस्टर में नीतीश कुमार के दस सर दिखाए गए हैं. यानी उन्हें रावण दिखाया गया है. तेजस्वी यादव उनके ऊपर तीर धनुष से निशाना लगाते हुए नजर आ रहे हैं.कांग्रेस के नेता इस पोस्टर्स से नाराज हैं. आरजेडी को राजनीतिक मर्यादा का ध्यान रखने की नसीहत दे रहे हैं.उनका कहना है कि एक सीएम को रावण के रूप में दिखाना घटिया राजनीति है. अब आप सोंचिये देश के पीएम को चोर कहने में थोडा भी संकोंच नहीं करनेवाली कांग्रेस पार्टी को नीतीश कुमार की इतनी चिंता क्यों होने लगी है?

राजनीति के जानकारों का कहना है कि अभी भी कांग्रेस को नीतीश कुमार से बहुत उम्मीद है. कांग्रेस अभी भी नीतीश कुमार के साथ बिहार में चलना  चाहती है. लालू यादव कांग्रेस की मज़बूरी हैं तो नीतीश कुमार पसंद हैं. अभीतक बीजेपी के साथ जेडीयू का सीटों का बटवारा नहीं हुआ है. और जिस तरह से बीजेपी के नेता राम मंदिर और जनसँख्या को लेकर अल्पसंख्यकों को धमकियां दे रहे हैं, नीतीश कुमार बहुत असहज मह्सुश कर रहे हैं. अबतक तो नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सरकार चलाते हुए भी अपने सेक्यूलर अजेंडे को आगे बढाते रहे हैं. लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं. बीजेपी नेता उनके सेक्यूलर क्रेडेंशियल को मिटा देने पर तुले हैं. ऐसे में कांग्रेस नेताओं को लग रहा है कि अगर सीटों को लेकर सम्मानजनक समझौता नहीं हुआ तो नीतीश कुमार बीजेपी को छोड़ सकते हैं.

आजकल SC-ST एक्ट और आरक्षण की मांग को लेकर सवर्ण बीजेपी से नाराज हैं. कांग्रेस उन्हें फिर से अपने साथ लाने के लिए एडी छोटी का जोर लगाए है. नीतीश कुमार की विरादरी का वोट भले कम हो लेकिन दलितों और अति-पिछड़ों के लिए वो सबसे भरोसेमंद नेता हैं. इस समाज का वोट 25 फिसद से ज्यादा है. इसकी गोलबंदी में नीतीश कुमार जी-जान से जुटे हुए हैं. कांग्रेस को लगता है कि अबतक अपना सेक्यूलर क्रेडेंशियल बचाने में कामयाब रहे नीतीश कुमार अगर 25 फिसद अति-पिछड़ों को गोलबंद कर उसके साथ आ जाते हैं तो ,वगैर आरजेडी के भी बीजेपी का मुकाबला किया जा सकता है.

लेकिन अभीतक इस दिशा में कुछ भी ठोस नहीं हुआ है. बात तो आगे तभी बढ़ेगी ,जब नीतीश कुमार कोई फैसला लेगें. फैसला तो नीतीश कुमार को लेना है न कि कांग्रेस को. जबतक नीतीश कुमार बीजेपी को गुडबाय नहीं कहते हैं, इसे राजनीतिक गपशप ही समझ कर आनंद लीजिये .

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