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ऐतिहासिक एवं लोक-मान्यताओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है मुंगेर की दुर्गा पूजा

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ऐतिहासिकता एवं लोक-मान्यताओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है मुंगेर की दुर्गा पूजा

सिटी पोस्ट लाइव : यूं तो दुर्गा पूजा पूरे बिहार में बहुत हीं धूम-धाम से मनाई जाती है, लेकिन मुंगेर की दुर्गा पूजा कई मायनो में खास है।एक ओर जहां 108 शक्तिपीठों में से एक पीठ यहां मां चण्डी के रूप में साक्षात विराजमान हैं, तो दुसरी ओर मुंगेर के शादीपुर में स्थित श्री श्री 108 बङी दुर्गा महारानी स्थान में प्रतिष्ठित होने वाली बङी देवी अपनी ऐतिहासिकता एवं लोक-मान्यताओं के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। ऐसे तो मुंगेर जिले में लगभग 150 से 200 दुर्गा पंडाल आश्विन दुर्गा पूजा में बनते हैं और उनमें बहुत श्रद्धा एवं धूम-धाम से मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है, लेकिन इन सब में शादीपुर स्थ्ति बङी देवी की महिमा एवं मान्यता भक्तों के बीच सबसे ज्यादा है। लोगों की मान्यता है कि भक्तों द्वारा मांगी गई सभी मुरादें यहां पुरी होती है, शायद इसलिए हीं मां के भक्तों में सभी मजहब के लोग शामिल हैं,  मां की महिमा और मां के भक्त देश के कोने कोने व विदेशों में भी हैं।

यहां बनने वाली बङी मां की मुर्ति भी अपने आप में कई मायनो में खास होती है, मुर्ति का स्वरूप सदियों से एक सा ही होता है, मुर्ति को देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो आपके सामने साक्षात देवी विराजमान हों ,आप को इनकी आंखों में अपने भक्तों के लिए करूणा और पापियों के लिए क्रोध दोनो एक साथ हीं दिख जाएगें। बङी देवी की प्रतिमा बनाने वाले मुर्तिकार भी सदियों से एक हीं परिवार से जुङे रहे हैं, जहां कुछ वर्ष पहले तक यह कार्य स्व0 गुलाब पंडित जी के द्वारा संपन्न होता था , अब उनके ही नाति श्री नंदकिशोर पंडित ने यह दायित्व संभाला हुआ है।यह आश्चर्यजनक है कि पीढी दर पीढी कलाकार तो बदल जाते हैं लेकिन बङी मां की मुर्ति का स्वरूप रत्ती भर भी नहीं बदलता है।बङी दुर्गा पुजा समिति के उपमंत्री भावनंद कुशवाहा जी बताते हैं कि यह परंपरा कितने सदियो से चली आ रही है कोई नहीं जानता है. अत्यंत प्राचीन परंपरा और आस्था जो आज एक भव्यता का रूप भी ले चुकी है, इसमें देश के अलग-अलग कोनो में रह रहे लोग एवं विदेशों में रह रहे भक्तों का भी खासा योगदान रहा है। एक ओर बङी मां अपने भक्तों की हर मुराद पुरी करती हैं, तो भक्त भी पुरी श्रद्धा के साथ तन, मन और धन से मां की सेवा करते हैं। धन की बात करे तो मां के पास लाखों के आभूषण हैं, इसके अलावे हर वर्ष लगभग 35 से 40 लाख रूपये की राशि चंदा के रूप में बङी दुर्गा पुजा समिति को प्राप्त होता है।

परदर्शिता का ध्यान रखने के लिए हर वर्ष पूजा समिति द्वारा एक स्मारिका भी प्रकाशित करवाई जाती है , जिसमें कि चंदा देने वालों कि विस्तृत जानकारी दी जाती है। बङी देवी के विसर्जन की प्रथा भी अन्य मुर्ति विसर्जन से भिन्न है। मां को विसर्जित करने के लिए 32 कहारो की आवश्यकता होती है जो डोली में उठाकर बङी देवी को विदा करते है। पूजा समिति की बात करे तो देवनंदन प्रसाद -मंत्री, बंधनरायण यादव -उपसभापति, नरेश कु नीरू-उपमंत्री, दीपक कु0-सभापति, इन सभी महानुभावों की ओर से बङी दुर्गा पूजा समीति हरेक वर्ष की भांति इस वर्ष भी आप सभी भक्तों का हार्दिक स्वागत व अभिनंदन करती है।

अनुराग मधुर की खास रिपोर्ट 

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