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कम्बोडिया में फिर लहराएगा भारतीय संस्कृति का पताका, पांचवा धाम बनाने की हो रही तैयारी

संसार के सबसे बड़े हिन्दू मंदिर अंकोरवाट से 25 किलोमीटर दूर पर होगा पांचवा धाम

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कम्बोडिया में फिर लहराएगा भारतीय संस्कृति का पताका, पांचवा धाम बनाने की हो रही तैयारी

सिटी पोस्ट लाइव : भारत का नाम जुबान पर आते ही इसके लाखों वर्ष पुराने संस्कृति और अविश्मरणीय इतिहास जेहन में एक दृश्य की तरह घूमने लगती है। माना जाता है की भारतीय संस्कृति हड़प्पा और मोहन जोदड़ो से भी लाखो वर्ष पुराणी है। लेकिन पश्चिमी इतिहासकारों की वजह से इसे दुनिया के सामने आने नहीं दिया गया है। मामला कम्बोडिया के सिमरिप शहर का है। कम्बोडिया के अंकोरवाट से 25 किलोमीटर की दुरी पर पहाड़ो के बीच बहती नदी में एक-दो नहीं बल्कि 1 हजार 8 शिवलिंग मिले है। जो हजारो वर्षो से यहाँ स्थापित है। वही गुरु कुमारन स्वामी और कम्बोडिया सरकार की मदद से अब इस ऐतिहासिक जगह को एक शिव धाम के रूप में विकसित करने की तैयारी की जा रही है।बता दें भारत एक ऐसा देश हैं जो प्राचीन काल से ही अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के चलते  दुनिया में अपनी एक अलग पहचान रखता है। भारतीय संस्कृति, धर्म और सभ्यता तीनों के पदचिन्ह मौजूद हैं। कम्बोडिया में सिमरिप शहर एक ऐसा ही शहर है जहां हिन्दू धर्म, संस्कृति और सभ्यता एक इमारत की शक्ल में आज भी आसमान छू रही है। यहाँ के आकाश, धरती, नदिया, पहाड़, जंगल सभी जगह भारतीय संस्कृति के पदचिन्ह मौजूद हैं। खास कर अंकोरवाट कम्बोडिया में एक मंदिर परिसर और दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है। जो 162.6 हेक्टेयर में फैला है। यहां खमेर साम्राज्य द्वारा बनाया गया भगवान विष्णु का विशाल मंदिर है। जो धीरे-धीरे 12 वी शताब्दी के अंत में बौद्ध मंदिर के रूप में परिवर्तित हो गया।

कभी यह अंकोर मंदिर कभी यशोधरपुर के नाम से जाना जाता था। इसका निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय के शासनकाल में हुआ। लेकिन इसके पहले यहाँ के शासक भगवन शिव के उपासक माने जाते थे। इस जगह लगभग 25 किलोमीटर दूर पहाड़ो और प्राकृतिक वादियों के बीच बहती यह पवित्र नदी एक ऐसी ही इतिहास को अपने अंदर सहेजे हुए है जो हजारो वर्ष पुराने शिव और शिव भक्तो के यहाँ होने और उन्हें आपस में जोड़े रखने का सुबूत देती है। यहाँ मौजूद 1 हजार 8 शिवलिंगो का जलाभिषेक हर पल यह पावन नदी करती रहती है। इस नदी के बीचो-बीच स्थापित इन शिवलिंगो को कब और किसने यहाँ स्थापित किया इसका उल्लेख तो कही नहीं मिलता, लेकिन हां अनादि शिव की तरह उनका अस्तित्व भी इस पृथ्वी पर अनादि काल से मौजूद है इसका प्रमाण यहाँ जरूर मिल जाता है।

गुरु कुमारन स्वामी की माने तो इस दिशा में कम्बोडिया की सरकार से लगातार बातचीत का दौर जारी है। यदि यहाँ की सरकार के साथ सहमति बनी तो यह जगह एक पांचवे धाम के रूप में विकसित किया जाएगा। दूसरी गंगा के नाम से प्रसिद्ध इस नदी के किनारे 200 फिट ऊँची शिव प्रतिमा और 75 फिट ऊँची भगवान गणेश और भगवान बुद्ध की प्रतिमा लगाने की भी योजना है।  ताकि यह स्थल सिर्फ हिन्दुओं के लिए ही नहीं, बल्कि बौद्ध धर्म को मानने वालों के लिए भी एक पवित्र भूमि के रूप में जाना जाएगा।

गौरतलब है कि कम्बोडिया के सिमरिप की आबोहवा में एक बार पुनः पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” गूंजने लगा है। यहाँ हर साल आने वाले हजारों विदेशी सैलानी और यहाँ के धर्म गुरु-,अब इस जगह को पुनः शिव धाम के रूप में विकसित करने की दिशा में कार्य शुरू कर चुके हैं। देश विदेश के नामचित ग्रामों के साथ इनके अलावा भारत के झारखंड से पर्यटन मंत्री अमर कुमार बाउरी और मीडिया प्रभारी प्रशांत मल्लिक ने भी हर संभवता मदद करने का ऐलान किया है।

रांची से सूरज कुमार की स्पेशल रिपोर्ट 

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