City Post Live
NEWS 24x7

मां दुर्गा की ऐसी कठिन तपस्या आपने नहीं देखी होगी, जमीन के भीतर छाती पर कलश की स्थापना

- Sponsored -

-sponsored-

- Sponsored -

मां दुर्गा की ऐसी कठिन तपस्या आपने नहीं देखी होगी, जमीन के भीतर छाती पर कलश की स्थापना

निर्मली के रहने वाले भूपेंद्र शास्त्री अररिया में नवरात्र के दौरान मां दुर्गा, भगवती की अराधना में कड़ी तपस्या कर रहे हैं. फारबिसगंज अनुमंडल के सुरसर दुर्गा मंदिर में ये शख्स दस दिनों तक शरीर के ऊपर कई क्विंटल मिट्टी का भार लिए दबा रहेगा.

सिटी पोस्ट लाइव ,विशेष ( कनक कुमार ) : आस्था और विश्वास में बहुत ताकत होती है. साधक तीन तरह के होते हैं. एक साधक होता है तो आस्तिक होता है. पूजा पाठ, साधना शुरू भी करता है .लेकिन बहुत जल्द उचट जाता है. दूसरे श्रेणी का साधक इसलिए साधना-पूजा-पाठ करता है क्योंकि उसे ऐसा करना अच्छा लगता है. और तीसरा श्रेणी ऐसे साधकों की होती है, जिसे इश्वर पर अटूट आस्था और विश्वास होता है. वह आस्था और विश्वास के साथ निरंतर साधना में लगा रहता है. इस तरह के साधक की इच्छा शक्ति इतनी बज्बुत हो जाती है कि वह असंभव से असंभव काम को सहजता से कर लेता है. एक ऐसे ही साधक से सिटी पोस्ट लाइव आज आपको रूबरू कराने जा रहा है.

फारबिसगंज अनुमंडल के सुरसर दुर्गा मंदिर में  माँ दुर्गा का एक भक्त जमीन के भीतर खुद को रख माँ की आराधना में लीन है. फारबिसगंज रेलवे स्टेशन से 30 किलोमीटर की दूरी पर नेपाल बोर्डर से सटा सुरसर गाँव, जहाँ माँ दुर्गा मंदिर के प्रांगण में भपेन्द्र शास्त्री नाम का यह भक्त नवरात्र में माँ दुर्गा की आराधना के लिए कड़ी तपस्या कर रहा है.इसका सख्श का नाम भपेन्द्र है. वह किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि भारत देश के सुख-समृद्धि के लिए यह तपस्या कर रहा है. सभी लोगों के कल्याण, सबके जीवन को सुखमय बनाने के लिए की जा रही इसकी तपस्या अद्भुत है.

यह मंदिर करीब 60 वर्ष पुराना है. नेपाल के भक्त भी यहाँ पहुँचते है. नेपाल बोर्डर से सटे होने के कारण नेपाल के भक्तों का भी यहाँ आना शुरू हो गया है. यहाँ आने वाले लोगों का कहना है कि वो पहलीबार ऐसे साधक को देख रहे हैं.  इस माँ दुर्गा के मंदिर में  हजारों लोग हर वर्ष नेपाल से दर्शन करने आते है. इस बार भपेन्द्र की कठिन साधना को देखने के लिए भी लोग दूर दूर से यहाँ आ रहे है. सुपौल के निर्मली के रहने वाले है भूपेन्द्र इससे पूर्व भी यह नेपाल के कई शहरों में इस तरह की साधना कर चुके है. इस तरह की कठिन तपस्या से साबित होता है कि अगर व्यक्ति के अन्दर ईश्वरीय शक्ति को लेकर विश्वास और आस्था हो तो कठिन से कठिन और काँटों भरे रास्तों पर भी बड़ी आसानी से चला जा  सकता है..

- Sponsored -

-sponsored-

Subscribe to our newsletter
Sign up here to get the latest news, updates and special offers delivered directly to your inbox.
You can unsubscribe at any time

- Sponsored -

Comments are closed.