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 दारोगा आशीष की शहादत की कहानी उनकी बहादुरी की एक दास्तान है

ट्रैक्टर से निकले थे मुठभेड़ के लिए दारोगा आशीष , गोली लगने के बाद भी किया एक को ढेर

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 दारोगा आशीष की शहादत की कहानी उनकी बहादुरी की एक दास्तान है

सिटी पोस्ट लाइव : बिहार पुलिस ने अपना एक बड़ा जबाज पुलिस अधिकारी खो दिया है. खगड़िया के परसाहा में तैनात दारोगा आशीष कुमार शहीद हो गए हैं. उनकी शहादत की कहानी बहादुरी की दास्ताँ है. जब शुक्रवार को उन्हें कुख्यात अपराधी दिनेश मुनि गैंग के दियारा में छिपे होने की खबर मिली तो देर रात एक बजे ट्रैक्टर से ही थाने से निकल गए. उन्होंने दियारा के इस आतंक को खत्म कर देने की ठान ली थी. मुठभेड़ के दौरान गोली लगने के बावजूद वो डटे रहे. एक अपराधी को ढेर कर दिया. मिशन सफल पूरा होता दिखाई दे रहा था तभी चार और गोलियां उनके सीने और पेट में समा गईं. उनके साथ गए एक सिपाही को भी कमर के नीचे गोली लगी जिसका इलाज भागलपुर अस्पताल में चल रहा है.बिहार पुलिस ने एक जांबाज दारोगा खो दिया.

शहीद दारोगा अशीष कुमार को अपनी वर्दी पर नाज था. 2009 में दारोगा की परीक्षा पास करने के बाद वो जहां भी गए उस थाना क्षेत्र में अपनी अलग पहचान कायम की. बेगूसराय में भी दो थाना क्षेत्रों में उन्होंने अपराधियों को नाको चने चबवाया था. जांबाज आशीष बेखौफ होकर अपराधियों से लोहा लेते थे. ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब आशीष को गोली लगी. पिछले साल जब वो मुफस्सिल थाना प्रभारी थे तब भी एक मुठभेड़ में उन्हें गोली लगी थी लेकिन वो बच गए.

आशीष कुमार न केवल जांबाज सिपाही थे बल्कि एक बेहद संवेदनशील व्यक्ति थे. समाज के गरीब गुरबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा आगे रहते थे. उनकी मां कैंसर की बीमारी से पीड़ित थीं. आशीष खुद उन्हें लेकर इलाज के लिए दिल्ली आया-जाया करते थे. आशीष कुमार 2009 बैच के दारोगा थे. आशीष का घर सहरसा जिले के सरोमा थाना बलवाह ओपी में है. वो तीन भाइयों  में सबसे बड़े थे. उनका एक भाई सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में देश की सेवा कर रहा है. दूसरा भाई सिविल इंजीनियर है.उनकी शहादत से पूरा बिहार मर्माहत है .

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