पटना के इस मनोकामना मंदिर में 106 साल से जल रही है पवित्र ज्योति
सिटी पोस्ट लाइव : बुधवार को कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा का आगाज हो गया. प्रथम दिन मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की गयी. मंदिर, पंडाल और घरों में पूरे विधि विधान से कलश स्थापना के साथ ही मंत्रोच्चारण से सारा वातावरण आध्यात्मिक हो गया है. वैसे तो पटना में माता के कई मंदिर हैं, जहाँ भक्त पहुंच रहे हैं. लेकिन पटना के गोलघर के पास प्राचीन अखंडवासिनी मंदिर है. यह मंदिर राजधानी के लोगों की श्रद्धा का बड़ा केंद्र है. कहा जाता है कि इस मंदिर में 106 साल से दीया लगातार जल रहा है.मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मुराद पूरी होती है.
इस मंदिर की स्थापना 150 साल पहले की गई थी. जानकारी के अनुसार, अंग्रेजों के आतंक से बचने के लिए इस मंदिर को बनाया गया था. इस मंदिर को मनोकामना मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यहां भक्त मां को खड़ी हल्दी और फूल चढ़ाते हैं. जिनकी भी मन्नत पूरी होती है, वो अपनी सुविधानुसार घी और तेल का दीया जलाते हैं. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यहां जल रहा अखंड दीपक है. मंदिर में घी व तेल के दो दीये लगातार जल रहे हैं. माना जाता है कि मंदिर में ये दीये 106 साल से जल रहे हैं. जिनकी भी मनोकामना पूर्ण होती है, वह दीया जलाते हैं. नवरात्र के मौके पर भी घी या तेल के नौ दीपक जलाने की परंपरा है.
मंदिर के मुख्य पुजारी वासुकीनाथ तिवारी ने कहा कि ‘‘हम इसे ‘अखंड ज्योति’ कहते हैं. यह आस्था की ज्योति बन गयी है,क्योंकि यहां देवी दुर्गा की मूर्ति के सामने यह लगातार जल रही है. हम इसे अखंडवासिनी मंदिर के रूप में एक सही नाम दिया है.’’ वासुकीनाथ के पिता दिवंगत विश्वनाथ तिवारी जून 1914 में पूजा-अर्चना पूरी करने के बाद असम के कामख्या से यह ज्योति पटना लेकर आए थे. उन्होंने प्रसिद्ध ‘गोलघर’ :ब्रिटिश द्वारा बनाया गया गुंबद के आकार का अनाजघर: के पास घर के एक कमरे को गर्भगृह में बदलकर वहां ज्योति स्थापित की थी. इसके बाद से यह जगह एक निजी मंदिर बन गया. हालांकि यहां श्रद्धालुओं को नि:शुल्क पूजा करने की मंजूरी है.
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