थाने में खुल गई थी शराब की दूकान, थानेदार बेच रहा था शराब, एसपी ने रंगे हाथ दबोचा
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में शराबबंदी को लेकर लगातार चलाये जा रहे अभियान के वावजूद अगर अवैध शराब का कारोबार थम नहीं रहा है और शराबियों को शराब मिल जा रही है ,इसका मतलब कहीं सिस्टम में लोचा है. यह लोचा कोई मामूली नहीं बल्कि बहुत बड़ा है. जिस पुलिस महकमे को शराबबंदी को सफल बनाना है. अवैध शराब क कारोबारियों और शराबियों के खिलाफ कारवाई करना है अगर वहीँ अवैध शराब का कारोबार करने लगे तो फिर शराबबंदी कैसे सफल हो सकती है. एक ऐसा ही मामला उजागर हुआ है गोपालगंज जिले में ,जहाँ एक थानेदार ही शराब बेचते पकड़ा गया है.
गोपालगंज में एसपी ने थानेदार को शराब बेचते रंगेहाथ पकड़ा है. एसपी राशिद जमां ने बैकुंठपुर थानाध्यक्ष लक्ष्मीनारायण महतो समेत एक एएसआई को हिरासत में लिया है. जानकारी के मुताबिक एसपी को शिकायत मिली थी कि थानेदार शराब की बिक्री में संलिप्त हैं. एसपी ने तुरत कारवाई की .छापा मारा और शराब बेचते दोनों पुलिसकर्मी पकडे गए. एसपी की इस कार्रवाई से पुलिस महकमे में हड़कंप तो मचा है. लेकिन साथ ही शराबबंदी को पुलिस द्वारा पलीता लगाए जाने का मामला भी उजागर हो गया है. वैसे शराब के अवैध कारोबार में पुलिसकर्मियों की संलिप्तता पहलीबार उजागर नहीं हुई है. गया में भी एसएसपी ने एक थानेदार को अवैध शराब के कारोबारियों से रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ धर दबोचा था. दारोगा गिरफ्तार भी हुआ. लेकिन जेल जाने से पहले ही वह चकमा देकर थाने से फरार हो गया. बीएमपी सैन्य पुलिस के डीजीपी श्री गुप्तेश्वर पाण्डेय के जन-जागरण अभियान से प्रभावित होकर बेगूसराय के लोगों ने भी अवैध शराब के कारोबार में शामिल एक थानेदार की घेराबंदी कर दी थी. थाने को सैकड़ों लोगों ने घेर लिया था और थानेदार को जेल भेंजने की मांग पर अड़ गए थे.
गोपालगंज एसपी भी मानते हैं कि जन जागरण अभियान की वजह से जनता ने शराब के अवैध कारोबार में शामिल लोगों और पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है. रोज लोग फोन कर अवैध शराब के कारोबार से जुडी अहम् जानकारियाँ दे रहे हैं. चिंता की बात ये है शराबबंदी को पलीता खुद पुलिसवाले लगा रहे हैं .लेकिन राहत की बात ये है कि अब जनता ने शराबबंदी के अभियान को सफल बनाने की जिम्मेवारी खुद संभल ली है.
हाल के दिनों में मुख्यमंत्री नीतेश कुमार ने छापेमारी के दौरान पकड़ी गई शराब को महीनों तक थानों में रखे जाने को लेकर नाराजगी जताई थी. उन्होंने अबिलम्ब जप्त शराब की बोतलों को नष्ट करने का निर्देश दिया था. अगर मुख्यमंत्री के इस आदेश पर ठीक ढंग से अम्ल हो गया होता तो आज एक थानेदार थाने से जप्त शराब की बोतलें बेचते गिरफ्तार नहीं होता.
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