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ऐसे 5 कलाकार जिन्होंने गाँधी जी को पर्दे पर कर दिया जीवित

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सिटी पोस्ट लाइव : दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल… 1954 में आयी सत्येन बोस की फ़िल्म जागृति का यह गीत महात्मा गांधी की विचारधारा और जीवन दर्शन को समझाने के लिए काफ़ी है। ब्रिटिश हुकूमत के पंजे से भारत माता को आज़ाद करवाने की ललक में जब उस दौर के कई नौजवानों ने बम और बंदूक का सहारा लिया, तब महात्मा गांधी ने अहिंसा के प्रयोग से ब्रिटिश साम्राज्य की चूलें हिला दी थीं।

अत्याचार का जवाब अहिंसा से देने की अनूठी विचारधारा ने महात्मा गांधी को ना सिर्फ़ हिंदुस्तान बल्कि विश्व का नेता बना दिया था। साबरमती के इस संत का प्रभाव दशकों बाद भी क़ायम है। यही वजह है कि कभी महात्मा गांधी के किरदार को तो कभी उनकी विचारधारा को अलग-अलग दौर के फ़िल्मकारों ने सिनेमा में पिरोया है। 2 अक्टूबर को इस महान आत्मा के जन्म दिवस पर ऐसे 5 कलाकारों की चर्चा यहां करते हैं, जिन्होंने बापू को रुपहले पर्दे पर जीवित कर दिया।

रजित कपूर

1996 में आयी श्याम बेनेगल की फ़िल्म द मेकिंग ऑफ़ महात्मा में गांधी जी का किरदार रजित कपूर ने निभाया था। इस फ़िल्म का निर्माण भारत और साउथ अफ़्रीका की फ़िल्म कंपनियों ने मिलकर किया था। इस फ़िल्म में मोहनदास करमचंद गांधी के महात्मा गांधी बनने के सफ़र पर रौशनी डाली गयी थी। साउथ अफ़्रीका में गांधी जी का 21 साल का प्रवास कहानी का आधार बना। द मेकिंग ऑफ़ महात्मा फ़ातिमा मीर की किताब द एप्रेंटिसशिप ऑफ़ ए महात्मा का अडेप्टेन थी। महात्मा गांधी के किरदार में उनके व्यक्तित्व को बारीकी और प्रभावी ढंग से उतारने के लिए रजित को बेस्ट एक्टर का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार भी मिला।

 

दर्शन ज़रीवाला

फ़िरोज़ अब्बास ख़ान की फिल्म ‘गांधी: माई फादर’ में दर्शन ज़रीवाला ने बापू का किरदार निभाया। फिल्म गांधी और उनके बेटे हरिलाल गांधी के रिश्तों पर आधारित थी। इस फ़िल्म का निर्माण अनिल कपूर ने किया था और गांधी जी के बेटे का किरदार अक्षय खन्ना ने निभाया था। एक पिता और राष्ट्रपिता के बीच के अंतर्द्वंद्व बखूबी उभारने के लिए दर्शन ज़रीवाला की ख़ूब तारीफ़ हुई थी। उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार प्रदान किया गया था।

दिलीप प्रभावलकर

संजय दत्त के करियर की सबसे यादगारों फ़िल्मों में लगे रहो मुन्नाभाई शामिल है, जिसे राजकुमार हिरानी ने निर्देशित किया था। इस फ़िल्म में महात्मा गांधी की सीख को मनोरंजक तरीक़े से पेश किया गया था और ‘गांधीगिरी’ के कॉन्सेप्ट ने देशभर में लोकप्रियता पायी थी। फ़िल्म में संजय दत्त और अरशद वारसी मुख्य भूमिकाओं में थे, मगर मराठी एक्टर दिलीप प्रभावलकर ने गांधी बनकर फ़िल्म को एक अलग आयाम दिया।

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