सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसलाः एडल्टरी क्राइम नहीं, असंवैधानिक है पुराना कानून
सिटी पोस्ट लाइव : सुप्रीम कोर्ट ने आज एक सुनाया है.सुप्रीम कोर्ट ने 150 साल पुराने एडल्टरी कानून को असंवैधानिक करार दे दिया है. शादी से बाहर संबंध को अपराध बनाने वाली धारा 497 के खिलाफ लगी याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि एडल्टरी को शादी से अलग होने का आधार बनाया जा सकता है. लेकिन इसे अपराध नहीं माना जा सकता.चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ में जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस रोहिंगटन नरीमन और जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल थे. यह फैसला सभी जजों ने एकराय से ली है.
जस्टिस एम खानविलकर ने कहा कि लोकतंत्र की खूबसूरती है मैं, तुम और हम.’ उन्होंने कहा, “हर किसी को बराबरी का अधिकार है. पति पत्नी का मास्टर नहीं है. जस्टिस मिश्रा ने कहा, ‘मूलभूत अधिकारों में महिलाओं के अधिकारों को भी शामिल किया जाना चाहिए. एक व्यक्ति का सम्मान समाज की पवित्रता से अधिक जरूरी है. महिलाओं को नहीं कहा जा सकता है कि उन्हें समाज के हिसाब से सोचना चाहिए.” जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि एडल्टरी चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में अपराध नहीं है. उन्होंने कहा कि यह शादियों में परेशानी का नतीजा हो सकता है उसका कारण नहीं. इसे क्राइम कहना गलत होगा.” उन्होंने कहा कि एक लिंग के व्यक्ति को दूसरे लिंग के व्यक्ति पर कानूनी अधिकारी देना गलत है. इसे शादी रद्द करने का आधार बनाया जा सकता है. लेकिन इसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है
गौरतलब है कि धारा 497 केवल उस पुरुष को अपराधी मानती है, जिसके किसी और की पत्नी के साथ संबंध हैं. पत्नी को इसमें अपराधी नहीं माना जाता. जबकि आदमी को पांच साल तक जेल का सामना करना पड़ता है. कोई पुरुष किसी विवाहित महिला के साथ उसकी सहमति से शारीरिक संबंध बनाता है, लेकिन उसके पति की सहमति नहीं लेता है, तो उसे पांच साल तक के जेल की सज़ा हो सकती है. लेकिन जब पति किसी दूसरी महिला के साथ संबंध बनाता है, तो उसे अपने पत्नी की सहमति की कोई जरूरत नहीं है.
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