सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- नियमित और नियोजित शिक्षकों की सैलरी में इतना अंतर क्यों?
सिटी पोस्ट लाइव : सुप्रीम कोर्ट में आज मंगलवार को एक बार फिर बिहार के नियोजित शिक्षकों के वेतन को लेकर सुनवाई हुई. नियोजित शिक्षकों की ओर समान काम के बदले समान वेतन देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई का आज 21वां दिन था. मंगलवार को एक बार फिर केंद्र सरकार ने समान काम के बदले समान वेतन देने में असमर्थता जताई. तब कोर्ट ने पूछा कि नियमित व नियोजित शिक्षकों की सैलरी में इतना अंतर क्यों है. अब इस मामले पर कल बुधवार को भी सुनवाई होगी.
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से अटार्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि समान वेतन राज्य सरकार अपने स्तर से दे सकती है. केंद्र सरकार अतिरिक्त राशि नहीं देगी. उन्होंने यह भी तर्क दिया कि सर्व शिक्षा अभियान मद की राशि राज्यों की जनसंख्या और शैक्षणिक पिछड़ेपन के आधार पर दी जाती है. ऐसे केंद्र सरकार अपने हिस्से की राशि नहीं बढ़ा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने अटार्नी जनरल वेणुगोपाल से पूछा कि बिहार को शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के तहत अलग से केंद्र ने कितनी राशि दी है? इस पर उन्होंने कहा कि वे संयुक्त सचिव से बात कर इसका डिटेल्स बताएंगे. शिक्षक संघ के सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से देश में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन, इस अभियान की सफलता की जिम्मेदारी जिन शिक्षकों पर है, उन्हें ही सही वेतन नहीं मिल रहा है.
बिहार के नियोजित शिक्षकों के ‘समान काम समान वेतन’ के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएम स्प्रे और जस्टिस यूयू ललित की खंडपीठ सुनवाई कर रही है. बिहार के करीब 3.70 लाख नियोजित शिक्षक सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. नियोजित शिक्षकों के मामले में पटना हाईकोर्ट ने 31 अक्टूबर 2017 को नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया था. बाद में राज्य सरकार ने 15 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. 29 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की पहली सुनवाई की थी. इसके बाद से समय-समय पर सुनवाई चल रही है. शिक्षकों को पिछले एक साल से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतज़ार है.देखिये कल क्या होता है.
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