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भगवान श्रीकृष्ण के परम मित्र होने के बाद भी सुदामा क्यों थे गरीब, जानें रहस्य

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भगवान श्रीकृष्ण के परम मित्र होने के बाद भी सुदामा क्यों थे गरीब, कौन से पाप की मिली सजा

सिटी पोस्ट लाइव : आखिर भगवान कृष्ण के परम मित्र होने के बाद भी सुदामा को गरीबी का दंश क्यों झेलना पड़ा, इसके बारे में पौराणिक शास्त्रों में कथा का वर्णन किया गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक ब्राह्मणी थी जो बहुत गरीब निर्धन थी. वह भिक्षा मांगकर अपना जीवन यापन करती थी. एक समय उसे पांच दिनों तक भिक्षा नहीं मिली और उसने पानी पीकर ही अपना गुजारा किया. इसके बाद छठे दिन उसे भिक्षा में दो मुट्ठी चने मिले. ब्राह्मणी को कुटिया में पहुंचते-पहुंचते रात हो गई. ब्राह्मणी ने सोचा अब ये चने रात मे नही खाऊंगी और प्रातःकाल भगवान को भोग लगाकर ही ये चने खाऊंगी. यह सोचकर ब्राह्मणी ने चनों को कपड़े में बाँधकर रख दिया और वासुदेव का नाम जपते-जपते सो गई. ब्राह्मणी के सोने के बाद कुछ चोर चोरी करने के लिए उसकी कुटिया में आए. चोरों को कुटिया में चनों की पोटली के अलावा कुछ नहीं मिला, चोरों ने सोचा की पोटली में सोने के सिक्के हैं, ये समझकर वे पोटली को अपने साथ ले गए.इतने में ब्राह्मणी की आंख खुल गई और वह चोर-चोर चिल्लाने लगी. गांव के सारे लोग चोरों को पकड़ने के लिए दौड़े. पकडे़ जाने के डर से सारे चोर संदीपन मुनि के आश्रम में छिप गए. उस समय संदीपन मुनि के आश्रम में श्री कृष्ण और सुदामा शिक्षा ग्रहण कर रहे थे. गुरुमाता को लगा की कोई आश्रम के अन्दर आया है, गुरुमाता देखने के लिए आगे बढीं तो चोर किसी के आने की आहट सुनकर वहां से डरकर भागे लेकिन चने की पोटली वहीं गिर गई. इधर भूख से व्याकुल ब्राह्मणी ने जब देखा कि उसकी चने की पोटली चोर उठा ले गए. तो ब्राह्मणी ने श्राप दिया की मुझ दीनहीन असहाय के जो भी चने खाएगा वह दरिद्र हो जाएगा.उधर प्रातःकाल गुरु माता आश्रम में झाडू लगाने लगी, झाडू लगाते समय गुरु माता को वही चने की पोटली मिली, उन्होंने पोटली खोल के देखी तो उसमे चने थे. सुदामा और कृष्ण भगवान जंगल से लकडी लाने जा रहे थे. गुरु माता ने वह चने की पोटली सुदामा को दे दी और कहा, बेटा जब वन मे भूख लगे तो दोनों यह चने खा लेना. सुदामा जन्मजात ब्रह्मज्ञानी थे, ज्यों ही चने की पोटली सुदामा ने हाथ में लिया त्यों ही उन्हें सारा रहस्य मालुम हो गया. सुदामा ने सोचा! गुरु माता ने कहा है यह चने दोनों बराबर बाँट कर खाना. लेकिन ये चने अगर मैने श्री कृष्ण को खिला दिए तो सारी सृष्टि दरिद्र हो जाएगी. मैं ऐसा कदापि नही करुंगा. मैं ये चने स्वयं खा जाऊंगा लेकिन कृष्ण को नहीं खाने दूंगा और सुदामा ने सारे चने खुद खा लिए. ऐसा करके दरिद्रता का श्राप सुदामा ने अपने उपर ले लिया और इसी कारण सुदामा को आगे जाकर दरिद्रता सहनी पड़ी.

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