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आज हर तरफ है विश्वकर्मा पूजा की धूम, देवताओं के शिल्‍पकार हैं भगवान विश्वकर्मा

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आज हर तरफ है विश्वकर्मा पूजा की धूम, देवताओं के शिल्‍पकार हैं भगवान विश्वकर्मा

सिटी पोस्ट लाइव :  भगवान विश्‍वकर्मा के जन्‍मदिन को विश्‍वकर्मा पूजा, विश्‍वकर्मा दिवस या विश्‍वकर्मा जयंती के नाम से आज पुरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है. यह पर्व हिन्‍दू धर्म में विशेष महत्‍व है. मान्‍यता है कि इस दिन भगवान विश्‍वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें धर्मपुत्र के रूप में जन्‍म लिया था. भगवान विश्‍वकर्मा को ‘देवताओं का शिल्‍पकार’, ‘वास्‍तुशास्‍त्र का देवता’, ‘प्रथम इंजीनियर’, ‘देवताओं का इंजीनियर’ और ‘मशीन का देवता’ कहा जाता है. विष्‍णु पुराण में विश्‍वकर्मा को ‘देव बढ़ई’ कहा गया है.

हिन्‍दू समाज में विश्‍वकर्मा पूजा का विशेष महत्‍व है. अगर मनुष्‍य को शिल्‍प ज्ञान न हो तो वह निर्माण कार्य नहीं कर पाएगा. निर्माण नहीं होगा तो भवन और इमारतें नहीं बनेंगी, जिससे मानव सभ्‍यता का विकास रुक जाएगा. मशीनें और औज़ार न हो तो दुनिया तरक्‍की नहीं कर पाएगी. कहने का मतलब है कि सामाजिक, आर्थिक और सांस्‍कृतिक विकास के लिए शिल्प  ज्ञान का होना बेहद जरूरी है. अगर शिल्‍प ज्ञान जरूरी है तो शिल्‍प के देवता विश्‍वकर्मा की पूजा का महत्‍व भी बढ़ जाता है. मान्‍यता है कि विश्‍वकर्मा की पूजा करने से व्‍यापार में दिन-दूनी रात चौगुनी वृद्धि होती है.

सभी देवताओं में भगवान विश्‍वकर्मा का विशेष स्‍थान है. विश्‍वकर्मा ने एक से बढ़कर एक भवन बनाए. मान्‍यता है कि उन्‍होंने रावण की लंका, कृष्‍ण नगरी द्वारिका, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्‍थ नगरी और हस्तिनापुर का निर्माण किया. माना जाता है कि उन्‍होंने उड़ीसा स्थित जगन्नाथ मंदिर के लिए भगवान जगन्नाथ सहित, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्ति का निर्माण अपने हाथों से किया था.

आज देश भर में विश्वकर्मा पूजा की धूंम देखने को मिल रही है. हर साल विश्वकर्मा पूजा हर साल 17 सितंबर को मनाया जाता है. मान्‍यता है कि इसी दिन निर्माण के देवता विश्‍वकर्मा का जन्‍म हुआ था. विश्‍वकर्मा को देवशिल्‍पी यानी कि देवताओं के वास्‍तुकार के रूप में पूजा जाता है. मान्‍यता है कि उन्‍होंने देवताओं के लिए महलों, हथियारों और भवनों का निर्माण किया था. विश्‍वकर्मा पूजा के मौके पर ज्‍यादातर दफ्तरों में छुट्टी होती है और कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस दौरान औजारों, मशीनों और दुकानों की पूजा करने का विधान है.

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