City Post Live
NEWS 24x7

8वीं के छात्र ने बनाई बुजुर्गों को दवा देने वाली डिवाइस, कीमत मात्र 600 रुपये

-sponsored-

-sponsored-

- Sponsored -

8वीं के छात्र ने बनाई बुजुर्गों को दवा देने वाली डिवाइस, कीमत मात्र 600 रुपये

सिटी पोस्ट लाइव : बुजुर्गों को समय पर दावा देने के लिए अब किसी अटेंडेंट की दरकार नहीं है. बुजुर्ग ये काम एक डिवाइस की मदद से कर सकते हैं. सबसे ख़ास बात ये है कि ऐसी डिवाइस बाज़ार में पहले से ही उपलब्ध है.लेकिन उसकी कीमत 5000 से भी ज्यादा है. लेकिन पटना के एक नन्हे छात्र ने इस डिवाइस को महज 500 रूपये में असेंबल कर दिया है.अब इस डिवाइस को बाज़ार में बुजुर्गों के लिए महज 600 रुपए में बेंचा जाएगा. सबसे ख़ास बात खेलने खाने की इस उम्र में इस तकनीक का ईजाद किया है सूर्य ने.

पटना के आइआइटी कॉलेज में ‘हैकॉथन’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ था. इसमे  आठवीं के छात्र सूर्य नारायण ने यह डिवाइस बनाई. डिवाइस में दवा के नाम, डोज और समय फीड कर देने के बाद अलार्म बजेगा. मशीन की विंडो से तय दवा बाहर आएगी. दवा लेने के साथ ही अलार्म बजना बंद हो जाएगा. यदि बगैर दवा लिए अलार्म को बंद कर देंगे तो अलार्म सेट करने वाले व्यक्ति के पास दवा नहीं लेने का मैसेज चला जाएगा. मशीन में एक बार में 24 घंटे के लिए दवा फीड की जा सकती है.सोलर सिस्टम से भी यह डिवाइस चलेगा.

13 वर्ष की उम्र में इस अनोखे डिवाइस को बनाने वाला छात्र सूर्य नारायण ‘हैकॉथन’ में सबसे कम उम्र का प्रतिभागी है. आइआइटी पटना के इन्क्यूबेशन सेंटर के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. प्रमोद कुमार तिवारी ने कहा कि  डिवाइस में उपयोग किये गए सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर उन्नत तकनीक के हैं. सूर्य को यह आईडिया अपने दादा की समस्या को देखकर आई. दादा अकेले रहते हैं. उन्हें समय पर दवा लेने में हमेशा परेशानी होती थी. इस डिवाइस को बनाने का आइडिया इसी बात को लेकर आया. बैट्री और दूसरी सामग्री को असेंबल करने में दो माह का समय लगा. अब यह काम करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. कई बार इसे आजमाया गया है. हर बार परफेक्ट रिजल्ट आया है.

सूर्य के साथ आई उसकी मां और सहायक प्रोफेसर डॉ. लीना बताती है- डिवाइस को असेंबल करने में 450 से 500 रुपये का खर्च आता है. इसे बाजार में 600 रुपए में उपलब्ध कराया जाएगा, जबकि ऐसी डिवाइस की कीमत अमेरिका में 4000 से 5000 रुपए के बीच है.

डॉ. लीना के अनुसार उनके बेटे ने चार साल की उम्र में ही  सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बनाना शुरू कर दिया था. उसके पिता रणजीत विटी स्वयं सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. बेटे की रुचि देख कर उन्होंने घर में ही लैब बना दी. दूसरी कक्षा से ही उसने डिवाइस बनाना शुरू कर दिया था.गौरतलब है कि आइआइटी पटना में आयोजित ‘हैकॉथन’ में शामिल होने के लिए 574 टीमों के 1700 लोगों ने रजिस्ट्रेशन किया था. इसमें से 15 टीमों का चयन 6 से 9 सितम्बर को आयोजित प्रतियोगिता में हुआ जिसमे से एक छात्र सूर्य नारायण भी शामिल है.

- Sponsored -

-sponsored-

-sponsored-

Comments are closed.