पीएमसीएच धनबाद में हड़ताल ने ली आधा दर्जन की जान,जिला प्रशासन पर FIR दर्ज
सिटी पोस्ट लाइव : पाटलीपुत्र मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल धनबाद में जारी हड़ताल जानलेवा हो गई है. यह हड़ताल अस्पताल में इलाजरत मरीजों की जान ले रही है. इस हड़ताल से अब तक आधा दर्जन मरीजों की जान जा चुकी है. दूसरी तरफ हड़ताल को लेकर राज्य सरकार पूरी तरह असंवेदनशील बनी हुई है.
बता दें पीएमसीएच में कार्यरत आउटसोर्सिग कर्मी वेतन मान में वृद्धि समेत विभिन्न मांगों को लेकर पिछले सोमवार को हड़ताल पर चले गए थे. यहां 400 से ज्यादा आउटसोर्स कर्मी हैं जिनके कंधे पर अस्पातल का परिचालन निर्भर है. हड़ताल शुरू होते ही अस्पातल की व्यवस्था चरमरा गई और भर्ती मरीजों की शामत आ गई. तीसरे दिन अस्पताल में भर्ती पांच मरीजों की जान चली गई है. तीन मरीज की मौत की वजह कार्डियो रिस्पेट्री फैल्योर (सीआर फैल्योर) बतायी गई है. अगर हड़ताल न होती तो मरीजों की जान बच सकती थी. वही झामुमो नेता देबू महतो ने धनबाद के सरायढेला थाने में सूबे के स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव, जिले के डीसी ,SDM और पीएमसीएच प्रबंधन के खिलाफ लिखित आवेदन देकर पीएमसीएच में आउटसोर्सिंग कर्मियों के हड़ताल के दौरान लगभग 6 मरीजों की मौत का आरोप लगाते हुए हत्या के मुकदमा चलाने की मांग की है.
मृतकों में मदनडीह निरसा की बुधनी हांसदा, मधुबन की सबून खातून, मरियम खातून की बच्ची, डिगवाडीह के वासुदेव वर्णवाल, जामताड़ा की रीता शामिल हैं. इन सभी की मौत से अस्पातल में कोहराम मच गया है. हड़ताल को लेकर अगर झारखंड सरकार गंभीर होती तो यह नौबत नहीं आती है.गौरतलब है कि अपनी मांगों को लेकर आउटसोर्स कर्मियों ने 20 अगस्त से हड़ताल शुरू की थी. दूसरे दिन धनबाद के मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल के हस्तक्षेप और आश्वासन के बाद हड़ताल स्थगित हुई. उसी दिन कर्मियों ने चेतावनी दी थी कि अगर मांगें पूरी नहीं हुई तो फिर हड़ताल करेंगे. जिसके बाद 3 सितंबर को कर्मचारी हड़ताल पर चले गए. इसके बाद मरीजों की शामत आ गई. हड़ताल और हड़ताल के कारण स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलने से अस्पताल के मरीज परेशान हैं. परेशानी को देखते हुए कई मरीज को अस्पताल से छुट्टी कराकर चले गए। वह जान बचाने के लिए निजी अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं. वहीँ एक साथ इतने मौत की खबर के बाद अस्पातल में अफरातफरी का माहौल है.
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