सिटीपोस्टलाईव : सरकारें अबतक गंगा और यमुना नदी को बचाने और उसके साफ़ सफाई पर हजारों करोड़ बहा चुकी हैं लेकिन आजतक गंगा और यमुना की सेहत में कोई सुधार नहीं आया. आएगा भी नहीं. जबतक सरकार इस अभियान से जनमानस को नहीं जोड़ेगी तबतक यह संभव ही नहीं. गंगा और यमुना नदी करोड़ों लोगों के आस्था से जुडी हुई नदियाँ हैं. उसी आस्था को आगे कर जनमानस को जोड़ना होगा और यह काम केवल सरकार नहीं कर सकती. इस अभियान को आगे बढाने के लिए देश के साधू-संतों को इस अभियान से जोड़ना होगा.यहीं संत लोगों को समझा पायेगें कि पूजा पाठ का कचरा गंगा में फेंकने से पुन्य नहीं पाप के भागी लोग बनेगें. पुन्य तो उसे साफ और स्वच्छ रखने से ही मिलेगा.इस दिशा में सरकार की तरफ से कोई सार्थक पहल अभी शुरू होनी बाकी है लेकिन खुद कुछ संत आगे आ चुके हैं गंगा यमुना को बचाने के लिए. केन्द्रीय कर्मचारी आवासीय कल्याण संगठन की तरफ से यमुना की सफा सफाई के लिए आयोजित कार्यक्रम में स्वामी पद्यम प्रियाचार्य शामिल हुए तो उनके साथ उनके सैकड़ों भक्त भी भागे भागे उनका साथ देने यमुना के तट पहुँच गए. तीन घंटे तक हाथी घाट के एक किलो मीटर के दायरे में यह साफ सफाई अभियान चला.
स्वामी पद्यम प्रियाचार्य ने कहा कि पिछले तीन साल से वो इस संगठन के द्वारा यमुना की साफ़ सफाई अभियान को ध्यान से देख रहे थे. उन्हें लगा कि यह अभियान तबतक सफल नहीं होगा जबतक आम जनता को इससे नहीं जोड़ा जाएगा.आम जनता को इस अभियान से जोड़ने के लिए वो इस सफाई अभियान में शामिल हुए. स्वामी प्रियाचार्य ने कहा कि ये नदियाँ लोक आस्था से जुडी हुई हैं और जबतक लोक आस्था से जोड़कर आम लोगों को इन्हें बचाने के सरकारी अभियान से नहीं जोड़ा जाएगा ,सफलता नहीं मिलनेवाली .संत प्रियाचार्य के यमुना बचाओ अभियान से जुड़ने के बाद देश के बाकी संतों के भी स्वतः स्फूर्त इस अभियान से जुड़ने की उम्मीद की जा रही है.
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