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सवर्णों को आरक्षण के मुद्दे को लेकर गरमा गई है बिहार की राजनीति

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सिटी पोस्ट लाइव : आर्थिक रूप से कमजोर सर्वणों को आरक्षण देने को लेकर एकबार फिर से बिहार में राजनीति गरमा गई है. जेडीयू नेता ऋषि मिश्रा के बयान के बाद राजनीतिक दलों के नेताओं ने बयान आरक्षण को लेकर आने लगे हैं. गौरतलब है कि  पूर्व विधायक और जदयू नेता ऋषि मिश्रा ने सोमवार को बयान दिया था कि आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण वर्ग को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. वर्तमान आरक्षण को जैसा है, वैसा ही छोड़ते हुए गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ देने के लिए सरकार अध्‍यादेश ला सकती है. हमें अगली पीढ़ी के लिए भी सोचना होगा. ऋषि मिश्रा ने कहा कि अपनी मांग को लेकर वे मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार से मिलेंगे. मांग के समर्थन में आगामी दो अक्‍टूबर को एक दिन का धरना भी देंगे.

बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि सरकार हर तबके को साथ लेकर चल रही है. पोशाक योजना, छात्रवृति योजना, साइकिल योजना, छात्रा शिक्षा योजना समाज के सभी वर्गों के लिए है. यदि केंद्र सरकार और राज्य सरकार को लगेगा कि सवर्णो को आरक्षण मिलना चाहिए तो उन्हें मिलेगा.

बिहार सरकार के पिछड़ा- अति पिछड़ा विभाग के मंत्री ब्रिज किशोर बिंद ने आर्थिक रुप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने की मांग का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि गरीब  सवर्ण को आर्थिक आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए और इसके लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाई जाए.

परिवहन मंत्री संतोष निराला ने भी गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की मांग का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि चाहे किसी भी वर्ग के लोग हो, अगर वो गरीब हैं तो उन्हें आरक्षण मिलना चाहिए. नीतीश सरकार ने सवर्ण आयोग का गठन किया है. रिपोर्ट आने के बाद सरकार इस पर गम्भीरता से फैसला लेगी.

कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने भी आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने की वकालत की है. उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण गरीबों को भी आरक्षण मिले और वो इसके पक्ष में हैं.

जेडीयू नेता और पूर्व मंत्री श्याम रजक ने गरीब सवर्णों को आरक्षण देने का खुलकर विरोध किया है. उन्होंने कहा कि अज्ञानी लोग इस तरह की वकालत कर रहे हैं. ऐसे लोग पहले संविधान का अध्य्यन करें. आरक्षण कोई भीख नहीं है. लोग घोड़े की तरह लोग व्यवहार न करें और आंख से लगी पट्टी को हटाये.

कांग्रेस सांसद रंजिता रंजन ने गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के मुद्दे पर सवाल उठाये हैं. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अपनी लोकप्रियता और जनधार खोने के बाद इस तरह के बयान अपने पार्टी के नेताओं से दिलवा रहे हैं, लेकिन इससे कुछ फ़ायदा मिलनेवाला नहीं है. ये सब राजनीतिक स्टंट मात्र है.

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