सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के नियोजित शिक्षकों को ‘समान काम समान वेतन’ के मामले में सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अभी और इंतजार करना होगा. सुप्रीम कोर्ट में 21 अगस्त को न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे एवं उदय उमेश ललित की खंडपीठ में शुरू हुई सुनवाई में शिक्षक संघ के वकीलों ने अपना पक्ष रखा. अब इस मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी. बता दें कि 22 को कोर्ट में अवकाश है. मंगलवार को शिक्षक संगठनों की ओर से अधिवक्ता सीएस सुंदरम ने अपनी दलील पेश की.
नियोजित शिक्षकों के पक्ष में है सुप्रीम कोर्ट लेकिन मंगलवार तक करना होगा फैसले का इंतज़ार
बता दें कि बीती 16 अगस्त को हुई सुनवाई में शिक्षक संगठनों के अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट में शिक्षक संगठनों का पक्ष रखते हुए नियोजित शिक्षकों के लिए समान काम के बदले समान वेतन की मांग उठाते हुए कहा था कि ये उनका हक है. उन्होंने कोर्ट में संविधान की धाराओं का हवाला देकर कहा था कि कोई भी सरकार आर्थिक कारणों का हवाला देकर मानव अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकती है. आज होने वाली सुनवाई में भाग लेने के लिए शिक्षा के प्रधान सचिव आरके महाजन, उप निदेशक अमित कुमार, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी रविशंकर दिल्ली चले गए थे.
नियोजित शिक्षकों को अब समय से मिलेगा वेतन, हो गई फिर से पुरानी व्यवस्था लागू
बता दें 2 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में समान कार्य के लिए समान वेतन पर हो रही सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने बिहार सरकार का समर्थन कर दिया था .केंद्र सरकार की दलील थी कि अगर बिहार के शिक्षकों की समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग लिया जाता है तो देश भर से ऐसी मांग उठने लगेगी जिसे पूरा कर पाना संभव नहीं है. केंद्र सरकार ने इसके पीछे तर्क दिया कि इन नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने पर लगभग 40 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार आयेगा. बिहार सरकार नियोजित शिक्षकों के वेतन पर सालाना 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करती है. अगर सुप्रीम कोर्ट से पटना हाईकोर्ट जैसा फैसला आता है, तो नियोजित शिक्षकों का वेतन ढाई गुना बढ़ जायेगा और इस तरह सरकारी खजाने पर 11 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा.
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