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आरा चीरहरण के लिए सबसे ज्यादा पुलिस है जिम्मेवार, मृतक के परिजनों से किया दुर्व्यवहार

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सिटी पोस्ट लाइव : सिटी पोस्ट लाइव की टीम अपनी जाँच पड़ताल के बाद इस नतीजे पर पहुंची है कि आरा जिले के बिहियां में जो चीरहरण कांड हुआ है, उसके लिए सीधेतौर पर पुलिस जिम्मेवार है. पुलिस ने अगर युवक लाश रेलवे ट्रैक के किनारे मिलने की घटना को गंभीरता से लिया होता और मृतक की मां-बहन के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया होता तो इतनी बड़ी वारदात नहीं होती. चीरहरण नहीं होता. स्थानीय लोगों का कहना है कि मृतक के शव को उठाने और मामले की जांच करने की बजाय पुलिस का रवैया बड़ा नकारात्मक रहा.

पुलिस के एक अधिकारी ने थाना पहुंची मृतक की मां को न केवल डांट फटकार कर भगा दिया बल्कि उसके ऊपर हाथ भी उठा दिया.पुलिस के इसी गुंडागर्दी और नकारात्मक रवैये की वजह से लोग आक्रोशित हो उठे. मौका देखते ही राजनीतिक दलों के कार्यकर्त्ता सक्रीय हो गए और दिनदहाड़े चीरहरण की इस घटना को अंजाम दे दिया.आईजी ने बिहियां के थानाध्यक्ष, जीआरपी के थानाध्यक्ष समेत आठ पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.

बिहियां में जिस जगह पर युवक का शव मिला उस जगह से उसका गांव दामोदरपुर 20 किलोमीटर के आसपास है. युवक की हत्या की खबर जब उसके घर तक पहुंची तो घर पर सिर्फ उसकी मां और एक बहन थी. इस वारदात के अगले दिन तक मृतक का बड़ा भाई और उसके पिता जोधपुर से बिहियां नहीं पहुंच सके थे.अगर पुलिस ने गंभीरता से इस मामले को लिया होता तो लोगों का आक्रोश नहीं भड़कता और ना ही चीरहरण की वारदात होती.

जो छानकर जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक भीड़ स्थानीय पुलिस और थानेदार की लापरवाही के कारण हिंसक हो उठी. देखते ही देखते माहौल इतना ख़राब हो गया कि पुलिस उसे संभाल नहीं सकी.जो बिहियां में सोमवार को हुआ, आज से पहले कभी नहीं हुआ था. भीड़ ने आगजनी, तोड़फोड़ करने के साथ-साथ हत्या के आरोप में महिला की निर्वस्त्र कर पिटाई तक कर दी. दरअसल, युवक विमलेश का शव मिलने की खबर स्थानीय पुलिस को मिली तो पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया. इस दौरान युवक का शव तीन घंटे तक ट्रैक पर पड़ा रहा और लोग पुलिस की कार्यशैली के खिलाफ आक्रोशित होते रहे.

लेकिन सवाल उठता है कि बिहियां में हुए इस बवाल, उपद्रव और चीरहरण की स्क्रिप्ट आखिर लिखी किसने.मृतक के परिजन वहां पहुंचे भी नहीं थे फिर ऐसे में ये बवाल और उपद्रव की शुरूआत किसने की और भीड़ को हिंसक किसने बनाया.पुलिस इसके लिए जिम्मेवार आरजेडी कार्यकर्त्ता कौशल किशोर यादव को मन रही है. ठीक है उसने लोगों को उकसाया. उपद्रव में अहम् भूमिका निभाई. लेकिन पुलिस उससे भी ज्यादा दोषी है जिसने मृतक के परिजनों के साथ दुर्व्यवहार कर और समय से कारवाई नहीं करके लोगों के आक्रोश को भड़काया.इस मामले में पुलिस ने एक राजद नेता समेत लगभग आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया है जिन पर बवाल करने का आरोप है. लोगों के मुताबिक पुलिस अगर समय रहते युवक के शव को हटा लेती तो इतना बड़ा बवाल न होता.

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