सिटी पोस्ट लाइव : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में वाहनों पर टैक्स के चार स्लैब तय किए गए हैं – 8, 9, 10 और 12 प्रतिशत. ये टैक्स वाहन खरीदने के समय एक ही बार 15 वर्षों के लिए होगा. ..एक्स-शो रूम प्राइस में वाहन की कीमत, सेंट्रल जीएसटी, स्टेट जीएसटी, इंटीग्रेटेड जीएसटी और उपकर सभी शामिल होंगे.अब इस नयी व्यवस्था के बाद बिहार में कार-मोटरसाइकिल खरीदना होगा महंगा.
बिहार सरकार ने मोटरसाइकिल, कार और वाणिज्यिक वाहनों पर लगाने वाले टैक्स को इंजन की क्षमता यानी क्यूबिक सेंटीमीटर (सीसी) के आधार पर नहीं बल्कि वाहनों के मॉडल के मुताबिक रखने का फैसला किया है.नये नियमों के मुताबिक दोपहिया या चारपहिया गाड़ियों पर लगनेवाले टैक्स को समझना जरुरी है. एक लाख रुपए तक की मोटरसाइकिल पर 8 प्रतिशत टैक्स लगेगा जो पहले छह प्रतिशत था. यानी 90 हजार की बाइक पर पहले 5400 टैक्स देना पड़ता था, अब 7200 रुपए देने होंगे.
आठ लाख रुपए तक की कार पर 9 प्रतिशत. पहले ये दर सात प्रतिशत था. यानी एक 7 लाख रुपए की कर खरीदने पर 4900 रूपए टैक्स की जगह अब 6300 रुपए देने होंगे.आठ लाख से 15 लाख रुपए तक की कार पर 10 प्रतिशत टैक्स देना होगा.15 लाख रुपए से अधिक की लग्जरी कार पर 12 प्रतिशत टैक्स सरकार वसूलेगी.
बसों और ट्रकों पर सालाना टैक्स भी पैसेंजर बैठाने की क्षमता यानी सीटों की संख्या, पॉवर और क्वालिटी के आधार पर तय होगा. इसमें भी जनरल वाहनों और लग्जरी वाहनों पर अलग-अलग टैक्स देना होगा. 13 से 26 सीटों वाली जनरल गाड़ियों पर सालाना 550 रुपए, सेमी लग्जरी पर 675 रुपए और डिलक्स क्लास पर 860 रुपए देने होंगे.इसी तरह 27 से 32 सीटों वाले वाहनों के पर सालाना 600, 750 और 860 रूपए टैक्स लगेगा.
इस टैक्स बढ़ोतरी से ऑटो कारोबार से जुड़े लोग बेहद नाराज हैं. उनका कहना है कि बिहार में पहले से ही टैक्स समीवर्ती राज्यों की अपेस्खा ज्यादा था जिसकी वजह से लोग झारखण्ड से गाड़ियाँ खरीद रहे थे. अब एकबार फिर से टैक्स में बढ़ोतरी के बाद तो ऑटो बिज़नस बिहार में बंद ही हो जाएगा.
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