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मिस्ट्री गर्ल मधु : जिसने जिस्म के जाल में फांस दिया सरकारी बाबुओं को, ले लिए सारे कॉन्ट्रैक्ट्स

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सिटी पोस्ट लाइव : मुजफ्फरपुर बालिका रेपकांड में एक से बढ़ एक खुलासे हो रहे हैं. सबसे बड़ा खुलासा ये है कि ब्रजेश ठाकुर की मिस्त्री गर्ल मधु का सबसे बड़ा योगदान उसे आगे बढाने में था.रेड लाइट एरिया में पली बढ़ी मधु ने उसके बालिका गृह की लड़कियों का इस्तेमाल उसके कारोबार को बढाने के लिए किया. एक आदमी की तीन दर्जन से ज्यादा संस्थाएं और सबको बड़े बड़े स्वास्थ्य विभाग और समाज कल्याण विभाग के बड़े बड़े ठेके ऐसे ही नहीं मिल गए. बल्कि मधु ने बालिका गृह की नाबालिग लड़कियों को अधिकारियों के सामने परोस कर उसने जिस कॉन्ट्रैक्ट को चाहा ले लिया. रसिक मिजाज अधिकारियों ने अपनी एय्य्यासी की व्यवस्था करनेवाली मधु को खुश रखने के लिए सारे नियम कानून को ताक पर रख दिया.मिस्त्री गर्ल मधु ने  संस्था और लड़कियों का इस्तेमाल सरकारी फंड और ऑर्डर पाने के जमकर किया. ब्रजेश ठाकुर के सारे खजाने की  असली चाबी मधु ही थी.

ये रिपोर्ट है मुजफ्फरपुर पुलिस का.इस रिपोर्ट के अनुसार ब्रजेश ठाकुर के तार एनजीओ से जुड़े हुए थे और उसके रिश्तेदार और जानने वाले उसमें महत्वपूर्ण स्थान पर कार्यरत थे. उसने सरकारी अधिकारियों और बैंकरों के साथ मिलकर अवैध तरीके से काफी दौलत इकट्ठा की है. विज्ञापन के प्रावधान के मानकों के अनुरूप खड़ा नहीं उतरने के बावजूद ब्रजेश ठाकुर को सरकारी अधिकारियों की सिफारिश पर समस्तीपुर स्थित सहारा ओल्ड एज होम चलाने की जिम्मेदारी दी गई थी जिससे काफी राशि उसे मिली थी.

रिपोर्ट में आगे खुलासा किया गया है कि बिहार स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी ने भी ठाकुर के एक एनजीओ को बिना प्रक्रिया का पालन किए बड़ी राशि उपलब्ध करा दी, जिनमें विज्ञापन भी शामिल है. पुलिस को ऐसा संदेह है कि ठाकुर इन योजनाओं को पाने के लिए बिहार स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के भ्रष्ट अधिकारियों को लड़कियों की सप्लाई करता था.रिपोर्ट में ये खुलासा भी किया गया है कि  “मधु, ब्रजेश ठाकुर की मुख्य वर्कर थी. इससे पहले वह देह व्यापार में शामिल थी. ठाकुर ने उसका इस्तेमाल कर मुजफ्फरपुर के चतुर्भुज स्थान के रेड लाइट इलाके में अपनी पहुंच बनाई. उसे अपने ऑर्गेनाइजेशन वामा शक्ति वाहिनी पर अहम स्थान दिया.

संस्था से जुड़े लोगों का तय मासिक भुगतान या प्रोजेक्ट पर निगरानी रखनेवाले साहेब के पास रिश्वत की रकम पहुंचाने जवाबदेही  सब मधु की थी.वह हमेशा अपने पास अच्छा-खासा कैश रखती थी. रेडलाइट एरिया में रहने का लाभ उसको मिलता था, क्योंकि वहां पुलिस या अन्य एजेंसी का भय नहीं था.वह महीने में 10 से 20 दिन लाइजनिग के लिए बाहर ही रहती थी. वह जहां जाती महंगे होटल में रहने और खाने का इंतजाम होता था. माना जा रहा है कि अगर मधु पुलिस के हत्थे चढ़ी तो एक बड़ा राज सामने आ सकता है. मधु का दिल्ली, कोलकाता, मुंबई जैसे रेडलाइड एरिया से गहरा संबंध है.

समाज कल्याण विभाग से मिलनेवाले प्रोजेक्ट पर एक तरह से मधु एंड कंपनी की जबरदस्त पकड़ थी. नाको की ओर से एड्स जागरूकता के लिए कंडोम बांटने के लिए आता था, लेकिन किसी को नहीं पता कि वह बंटता भी था या नहीं. यह भी कहा जा रहा है कि अगर उस स्थल की जांच हो तो कई नए राज से पर्दा उठ जाएगा.बालिका गृह की बच्चियों के बयान और मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद मधु की गतिविधियां सभी के सामने उजागर हो गई हैं. बालिका गृह यौन हिंसा कांड की जांच करनेवाले अधिकारी मधु के सहयोग करनेवाले उसके रिश्तेदार और वामा शक्ति वाहिनी संगठन से जुड़ी महिलाओं पर कड़ी नजर रख रहे हैं.

2001 में तत्कालीन प्रशिक्षु आइपीएस दीपिका सूरी ने मुजफ्फरपुर रेडलाइट एरिया में मानव तस्करी के धंधे को खत्म करने के लिए ‘ऑपरेशन उजाला’ चलाया था. उस समय अनवर मियां को सरगाना के रूप में चिह्नित किया गया था. उसके घर में तहखाने से लड़कियों को बरामद किया गया था. इसके बाद मोहल्ला सुधार समिति का गठन हुआ और फिर यहीं ब्रजेश ठाकुर को मिल गई मित्री गर्ल मधु .

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