सिटी पोस्ट लाइव : बिहार बोर्ड का एक और खेल सामने आया है.एकबार फिर पटना पुलिस ने इंटरमीडिएट 2017 के परीक्षा की कॉपियों को बेच दिए जाने का खुलासा किया है. पुलिस के अनुसार 1 लाख कॉपियों कबाड़ी में बेंच दी गई थीं. इसमें आंसर शीट के साथ ही 2018 के बचे हुए कंपाटमेंटल परीक्षा की भी कॉपियां शामिल थीं. कॉपियों के बेचे जाने का ये मामला दरभंगा से जुड़ा है. लेकिन इसकी एफआईआर शुक्रवार को पटना के कोतवाली थाना में बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड के भंडार शाखा के सहायक पदाधिकारी दीपक कुमार के बयान पर दर्ज कराई गई थी.
एसएसपी मनु महराज ने कोतवाली के थानेदार राम शंकर सिंह और स्पेशल सेल के सब इंस्पेक्टर मृत्युंजय को तेजी से मामले की छानबीन करने और दोषी को पकड़ने का आदेश दिया था. पुलिस टीम ने लगातार छापेमारी कर सफलता भी हासिल की. रामकृष्णा नगर इलाके में स्थित एक गोदाम में छापेमारी कर पुलिस टीम ने 155 बंडल बेची गई कॉपियों को बरामद कर लिया. हालांकि कुछ कॉपियों को ठिकाने भी लगा दिया गया था. इस मामले में पुलिस टीम ने राजकिशोर गुप्ता को गिरफ्तार किया है.
गिरफ्तार राजकिशोर गुप्ता वेस्ट पेपर कांट्रैक्टर है. बिहार बोर्ड हो या हाईकोर्ट, ये सरकारी जगहों से ही वेस्ट पेपर की खरीददारी करता है. पटना में इसके 5 गोदाम हैं. अलग—अलग सरकारी महकमों के वेस्ट पेपर को रखने के लिए इसने उसी तरीके से गोदामों को बांट रखा है.दरअसल, बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड ने साल 2014 इंटरमीडिएट आर्ट्स और कॉमर्स व 2016 की कॉपियों को बेचने के लिए निविदा जारी की थी. ये निविदा एक करोड़ रुपए से अधिक की थी. आरोप है कि राजकुमार गुप्ता ने चालाकी दिखाई. उसने 2014—16 के साथ ही 2017 की कॉपियां भी चुपचाप खरीद ली.
2017 के जिन कॉपियों को खरीदा गया, वो सारी कॉपियां दरभंगा के मारवाड़ी कॉलेज की थी. वो भी मूल्यांकन की हुई. पटना पुलिस की जांच में पता चला है कि राजकुमार गुप्ता के इस काम में कॉलेज के एक चपरासी रामपुकार सिंह ने मदद की थी. एक लाख से अधिक कॉपियों के एवज में चपरासी को 8 हजार रुपए दिए गए थे. अब पुलिस टीम कॉलेज के चपरासी को गिरफ्तार करने में जुट गई है.एसएसपी मनु महाराज के अनुसार बरामद कंपाटमेंटल एग्जाम की कॉपियां शेखपुरा जिले की हैं. ये मामला भी काफी बड़ा है और पटना पुलिस बड़े तरीके से ही इसकी जांच कर रही है.
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