आज अमित शाह पटना में, गठबंधन की पेंच सुलझाने की होगी कोशिश
आज पटना आ रहे हैं अमित शाह, नीतीश से ब्रेकफास्ट और डिनर पर बनेगा चुनावी समीकरण
सिटी पोस्ट लाइव : बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आज सुबह 10 बजे पटना पहुँच रहे हैं. बीजेपी और जेडीयू के बीच चेहरे और सीटों के बटवारे को लेकर चल रही खींचतान के बीच अमित शाह के आगमन को लेकर सबकी नजरें अमित शाह और नीतीश कुमार के बीच होनेवाली बैठक पर टिकी हुई है. वैसे जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दिल्ली में हुई बैठक के बाद जेडीयू ने साफ़ कर दिया है कि वह चुनाव में बीजेपी के साथ ही जाएगा.लेकिन कौन बड़ा भाई की भूमिका में होगा यानी कौन ज्यादा सीटों पर चुनाव लडेगा इसको लेकर संशय बना हुआ है.
इतना तो तय है कि सीटों का बंटवारा 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे के आधार पर संभव नहीं है क्योंकि उसमे जेडीयू के लिए कुछ नहीं बचेगा . अभी भी जेडीयू बीजेपी से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की जीद पर अड़ी हुई है. सूत्रों के अनुसार जेडीयू ने 17-17 सीटों का फार्मूला दिया है ,लेकिन यह भी सम्भव नहीं दीखता क्योंकि दो और सहयोगी दलों एलजेपी और रालोसपा के लिए केवल 6 सीटें बचेगीं जबकि पहले से ही एलजेपी के 6 और रालोसपा के 3 सांसद हैं. ये किसी कीमत पर अपनी वर्तमान जीती हुई सीटें छोड़ने को तैयार नहीं होगें. ऐसे में ज्यादा संभावना 15-15 – 10 के फ़ॉर्मूले पर बात बन सकती है. यानी बीजीपी-जेडीयू 15-15 सीटों पर और एलजेपी-रालोसपा के लिए 10 सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं. लेकिन इसके लिए भी बीजेपी को अपने आधे दर्जन से ज्यादा सिटींग सांसदों को चुनाव मैदान से बाहर करना पड़ेगा.
सूत्रों के अनुसार बीजेपी जेडीयू और अपने सहयोगी दलों के बीच उन 7 सीटों को बांटने की कोशिश करेगी जिसके ऊपर उसकी मोदी लहर में भी नहीं चली थी. बीजेपी इसका आधार उनका अल्पसंख्यक हितैषी होने के दावे को बनायेगी. जाहिर है ईन सीटों पर जीत हासिल करना सहयोगी दलों केलिए एक बड़ी चुनौती होगी. ऐसा माना जा रहा है कि सीटों के चयन को लेकर भी पेंच फंस सकता है. बीजेपी के साथ रहते अल्पसंख्यक मतदाताओं पर सहयोगी दल कितना भरोसा कर पायेगें ,ये सबसे बड़ा सवाल है. इसमे शक की कोई गुंजाईश नहीं कि बीजेपी के साथ रहते हुए भी अपने अजेंडे पर सरकार चलाने के कारण नीतीश कुमार का सेक्यूलर क्रेडेंशियल आभितक बचा हुआ है. लेकिन बीजेपी को छोड़कर आरजेडी के साथ आने और फिर आरजेडी को छोड़ वापस बीजेपी के साथ नीतीश कुमार के जाने के बाद राजनीतिक परिस्थिति बदली है. अल्पसंख्यक पहले से ज्यादा गोलबंद हुए हैं आरजेडी के पक्ष में .ऐसे में ये अंदाजा लगा पाना मुश्किल काम नहीं है कि अल्पसंख्यक बहुलीलाकों की सीटें जीतना बीजेपी के ईन सहयोगी दलों के लिए कितना मुश्किल होगा.
गौरतलब है कि बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में इन 40 सीटों में से एनडीए को कुल 31 सीटों पर जीत हासिल हुई. एनडीए की 31 सीटों में बीजेपी ने 22, एलजेपी ने 6 और रालोसपा ने 3 सीटों पर कब्जा जमाया है . लेकिन तब जेडीयू अकेले चुनावी समर में उतरी थी और उसे चालीस सीटों में से दो सीटों पर ही सफलता मिली थीं. लेकिन जेडीयू का मानना है कि बुरे हालात में भी 16-17 फीसदी वोट हासिल हुए, इसलिए उस नतीजे को सिट बटवारे का आधार नहीं बनाया जा सकता.जाहिर है किसी भी परिस्थिति में बीजेपी को ही बलिदान देना होगा गठबंधन को बनाए रखने के लिए
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