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बेगूसराय : 25 बच्चों को गुजरात ले जा रहा तीन मानव तस्कर गिरफ्तार

सूचना के आधार पर राज्यरानी एक्सप्रेस ट्रेन में की छापेमारी

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सिटी पोस्ट लाइव : मानव तस्करी दवाओं के बाद तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है. दुनिया भर में मानव तस्करी के 80% के करीब यौन शोषण के लिए किया जाता है और बाकी बंधुआ मजदूरी के लिए है और भारत एशिया में इस अपराध के हब के रूप में माना जाता है. मानव तस्करी में सबसे ज़्यादा बच्चियां भारत के पूर्वी इलाकों के अंदरूनी गांवों से आती हैं. जिनमें बिहार का नाम भी शुमार है. ताजा मामला बेगूसराय का है जहां सूचना के बाद ट्रेन में छापेमारी कर 25 बच्चे सहित तीन तस्कर गिरफ्तार किये गए हैं.

जानकारी अनुसार बेगूसराय रेलवे स्टेशन पर मानव तस्करी की सूचना पर ASP अभियान अमृतेश कुमार के नेतृत्व में नगर थाना पुलिस और बेगूसराय जीआरपी ने राज्यरानी एक्सप्रेस ट्रेन में छापेमारी की. इस छापेमारी के दौरान 25 बच्चों के साथ तीन तीन तस्कर गिरफ्तार हुए हैं. बताया जाता है कि 2 महिला और एक पुरुष तस्कर मिलकर 25 बच्चों को बिहार से बाहर ले जाने की तैयारी में थे. शुरुआती जांच में पता चला है कि यह लोग खगड़िया जिले के रहने वाले हैं.

सभी बच्चों को खगड़िया के मानसी से ही ले जाया जा रहा था. फिलहाल पुलिस बच्चों और हिरासत में लिए गए तीनों लोगों से पूछताछ कर रही है. पूछताछ के बाद ही पूरे मामले का खुलासा हो पाएगा. हालांकि इस मामले में पुलिस ने अबतक कुछ नहीं बताया है, लेकिन गिरफ्तार किये गए तस्करों का कहना है कि हम बच्चों को पटना पढाई करवाने लेकर जा रहे हैं. जबकि पुलिस का शक है कि तीनों बच्चों की तस्करी करने गुजरात जा रहे हैं.

गौरतलब है कि आज मानव तस्करी दुनिया का सबसे बड़ा काला बाजार है. जहां इन बच्चों की खरीद-फरोख्त वो चाहे यौन शोषण के लिए हो या बंधुआ मजदूरी के लिए, खुलेआम की जाती है. कानून तो बेहद कड़े हैं लेकिन अपराधी फरवाह नहीं करते हैं. बता दें ड्रग्स और हथियारों के बाद ह्यूमन ट्रैफिकिंग दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑर्गनाइज़्ड क्राइम है. जहां 80% मानव तस्करी जिस्मफ़रोशी के लिए होती है. एशिया की अगर बात करें, तो भारत इस तरह के अपराध का गढ़ माना जाता है. ऐसे में हमारे लिए यह सोचने का विषय है कि किस तरह से हमें इस समस्या से निपटना है.

मानव तस्करी में अधिकांश बच्चे बेहद ग़रीब इलाकों के होते हैं. मानव तस्करी में सबसे ज़्यादा बच्चियां भारत के पूर्वी इलाकों के अंदरूनी गांवों से आती हैं. अत्यधिक ग़रीबी, शिक्षा की कमी और सरकारी नीतियों का ठीक से लागू न होना ही बच्चियों को मानव तस्करी का शिकार बनने की सबसे बड़ी वजह बनता है. इस कड़ी में लोकल एजेंट्स बड़ी भूमिका निभाते हैं. ये एजेंट गांवों के बेहद ग़रीब परिवारों की कम उम्र की बच्चियों पर नज़र रखकर उनके परिवार को शहर में अच्छी नौकरी के नाम पर झांसा देते हैं.

ये एजेंट इन बच्चियों को घरेलू नौकर उपलब्ध करानेवाली संस्थाओं को बेच देते हैं. आगे चलकर ये संस्थाएं और अधिक दामों में इन बच्चियों को घरों में नौकर के रूप में बेचकर मुनाफ़ा कमाती हैं. ग़रीब परिवार व गांव-कस्बों की लड़कियों व उनके परिवारों को बहला-फुसलाकर, बड़े सपने दिखाकर या शहर में अच्छी नौकरी का झांसा देकर बड़े दामों में बेच दिया जाता है या घरेलू नौकर बना दिया जाता है, जहां उनका अन्य तरह से और भी शोषण किया जाता है.

नई दिल्ली के पश्‍चिमी इलाकों में घरेलू नौकर उपलब्ध करानेवाली लगभग 5000 एजेंसियां मानव तस्करी के भरोसे ही फल-फूल रही हैं. इनके ज़रिए अधिकतर छोटी बच्चियों को ही बेचा जाता है, जहां उन्हें घरों में 16 घंटों तक काम करना पड़ता है. साथ ही वहां न स़िर्फ उनके साथ मार-पीट की जाती है, बल्कि अन्य तरह के शारीरिक व मानसिक शोषण का भी वे शिकार होती हैं. न स़िर्फ घरेलू नौकर, बल्कि जिस्मफ़रोशी के जाल में भी ये बच्चियां फंस जाती हैं और हर स्तर व हर तरह से इनका शोषण होने का क्रम जारी रहता है.

बेगुसराय से सुमित कुमार की रिपोर्ट 

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