झटका खाये परीक्षार्थियों की सांसे हैं अटकी, फिर से हुई गड़बड़ी तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे
आखिर बोर्ड चैलेंज के बाद कैसे जांच करवा रहा है उत्तर पुस्तिकाओं का?
झटका खाये परीक्षार्थियों की सांसे हैं अटकी, फिर से हुई गड़बड़ी तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे
सिटी पोस्ट लाइव स्पेशल : बिहार अंतर स्नातक परीक्षाफल में हुई भारी गड़बड़ी से जहाँ बिहार की शिक्षा व्यवस्था की जमकर किरकिरी हुई, वहीँ सरकार के निर्देश पर असफल परीक्षार्थियों ने अपनी-अपनी उन उत्तर पुस्तिका को लेकर ऑन लाईन चैलेंज किये हैं। जिसमें उन्हें या तो असफल किया गया है, या फिर आंकलन से उस विषय में बेहद कम अंक आये हैं। बिहार बोर्ड के सर्वेसर्वा आनंद किशोर और शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन प्रसाद वर्मा ने इस मामले में शख्ती दिखाते हुए असफल परीक्षार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं के पुनः मूल्यांकन की घोषणा करी थी। लेकिन उनकी घोषणा से पूर्व कई असफल परीक्षार्थियों ने आत्महत्या कर ली थी। अब इन उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किनकी देखरेख में और कैसे शिक्षकों से करवाया जा रहा है, इसपर संसय बरकरार है। चूंकि बहुतों परीक्षार्थियों ने अपनी-अपनी उत्तर पुस्तिकाओं की पुनः जांच के लिए ऑन लाईन आवेदन दिए हैं।
ऐसे में छात्र और छात्राओं के बीच यह संसय बरकरार है कि उत्तर पुस्तिकाओं की संख्या काफी होगी, जिसका मूल्यांकन पुनः एक बड़ी चुनौती है। आखिर उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कहां और किनकी देखरेख में करवाया जा रहा है? बड़ा सवाल यह भी है कि जिन परीक्षार्थियों को तय अंक से ज्यादा प्राप्तांक मिले थे, उनकी उत्तर पुस्तिकाओं पर बोर्ड क्या कर रहा है? जिन परीक्षार्थियों ने चैलेंज किये हैं उनमें से बहुतों से हमारी बात हुई है। लगभग सभी परीक्षार्थी मानसिक रूप से बीमार चल रहे हैं। मृणाल सिंह और आशुतोष झा ने कहा है कि अगर उनकी मेहनत का सही फल पुनः मूल्यांकन में नहीं मिला,तो वे दोनों बोर्ड के सामने सुसाईड करेंगे। सूबे के मुखिया नीतीश कुमार को इस गम्भीर मामले में खुद से ना केवल हस्तक्षेप करना चाहिए था बल्कि पुनः मूल्यांकन कैसे हो रहा है, इसकी पल-पल की जानकारी भी उन्हें रखनी चाहिए थी। लेकिन बच्चों के भविष्य से महत्वपूर्ण सरकार के लिए कई और मसले हैं।
पुनः मूल्यांकन के बाद परीक्षाफल कबतक बच्चों के हाथ में आएगा, इसकी कोई सूचना जारी नहीं की जा रही है। जाहिर सी बात है कि ऐसे में परीक्षार्थी परेशानहाल हैं और उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। बोर्ड के पुनः मूल्यांकन के बाद भी अगर इन बच्चों के साथ न्याय नहीं हुआ तो,वे हाईकोर्ट का दरबाजा खटखटाने के लिए तैयार हैं। इन बच्चों का कहना है कि बोर्ड ने अपनी गलती सुधारकर उत्तर पुस्तिकाओं की सही जांच नहीं की, तो वे सभी माननीय न्यायालय जाएंगे और अपील करेंगे कि माननीय जज महोदय अपनी देखरेख में उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन करवाएं। इन बच्चों के साथ न्याय हो पायेगा की नहीं, इसपर कयास लगाना फिलवक्त बेमानी है। फ़िलहाल बिहार में बहार है, नीतीश कुमार है।
सहरसा से संकेत सिंह की रिपोर्ट
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