BJP विधायक के ठिकानों से 6 करोड़ कैश बरामद.
40 लाख की रिश्वत लेते बेटा रंगे हाथ गिरफ्तार, उसके ठिकानों पर हुई छापेमारी में बड़ा खुलासा.
सिटी पोस्ट लाइव :चुनाव में किस पैमाने पर धन बल का इस्तेमाल नेता करते हैं, इसका एक नायाब नमूना सामने आया है.दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक के बीजेपी के एक विधायक के ठिकानों से 6 करोड़ रुपए कैश बरामद हुए हैं. इसी साल चुनाव होना है. चुनाव से पहले बीजेपी विधायक के घर से करोड़ों रुपए की बरामदगी और बेटे के रिश्वत लेते रंगेहाथों गिरफ्तार होने से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है.बीजेपी विधायक के बेटे को 40 लाख रुपए रिश्वत लेते अधिकारियों ने रंगेहाथों पकड़ा है. उसके बाद विधायक के ठिकानों पर छापेमारी कर 6 करोड़ रुपए कैश बरामद किए. जिसके बाद विपक्षी पार्टी कांग्रेस भाजपा पर हमलावर है. घूसखोरी केस में फंसे भाजपा विधायक के. मदल विरुपक्षप्पा कर्नाटक के चन्नागगिरी विधानसभा से भाजपा विधायक है.
विरुपक्षप्पा के बेटे प्रशांत मदल बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (बीडब्ल्यूएसएसबी) के मुख्य लेखाकार है। जिन्हें 40 लाख रुपए रिश्वत लेते रंगेहाथों पकड़ा गया है.मिली जानकारी के अनुसार प्रशांत ने एक टेंडर प्रक्रिया को क्लीयर करने के लिए 80 लाख रुपये रिश्वत की मांग की थी. उन्हें उनके कार्यालय में 40 लाख रुपये स्वीकार करते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया. प्रशांत बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड (BWSSB) के मुख्य लेखाकार है. प्रशांत को गुरुवार को कर्नाटक लोकायुक्त के अधिकारियों ने 40 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा.
प्रशांत के पिता के. मदल विरुपक्षप्पा चन्नागिरि विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक है. विरुपक्षप्पा का अपने क्षेत्र में मजूत पकड़ है. उनके बेटे प्रशांत को लोकायुक्त पुलिस ने हिरासत में ले लिया है और अब दस्तावेजों की जांच कर रही है. अधिकारी भाजपा विधायक विरुपक्षप्पा से भी पूछताछ कर सकते हैं क्योंकि घूसखोरी के इस केस में भाजपा विधायक की संलिप्तता सीधे-सीधे सामने आ रही है.
जानकारी के अनुसार रिश्वतखोरी का यह मामला कर्नाटक साबुन और डिटर्जेट लिमिटेड (केएसडीएल) को कच्चा माल उपलब्ध कराने के लिए निविदा के आवंटन के संबंध में शिकायत दर्ज की गई थी. प्रशांत के पिता और भाजपा विधायक केएसडीएल के अध्यक्ष हैं. कच्चे माल की खरीद निविदा के लिए केएसडीएल अध्यक्ष के लिए से रिश्वत का पैसा प्राप्त किया गया था.रिश्वतखोरी के इस घटना सत्तारूढ़ भाजपा के लिए एक गंभीर झटके के रूप में देखा जा रहा है. यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब विपक्ष कर्नाटक की भाजपा सरकार पर 40 फीसदी ‘कमीशन’ और सरकारी टेंडरों में घूसखोरी को लेकर हमलावर है.
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