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उपेन्द्र कुशवाहा के मन में क्या है, आगे क्या है उनकी योजना?

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सिटी पोस्ट लाइव : JDU में घमाशान जारी है.उपेन्द्र कुशवाहा ने सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसलों को चुनौती देना शुरू कर दिया है. इन दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपेन्द्र कुशवाहा के बीच ठनी हुई है. कहा जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा जल्द ही जदयू छोड़ने का ऐलान कर सकते हैं. उपेन्द्र कुशवाहा का कहना है कि जब उन्होंने मार्च 2021 में RLSP का JD(U) में विलय किया, तब JD(U) NDA का हिस्सा था. यह बाद में महागठबंधन नाम के एक नए गठबंधन का हिस्सा बन गया. लेकिन चिंता तब पैदा हुई जब दोनों के बीच किसी ‘डील’ की बात हुई.”उन्होंने आगे कहा कि CM ने तेजस्वी यादव को बिहार के भावी नेता के रूप में पेश कर मामले को और उलझा दिया है. JD(U) के कार्यकर्ता और समर्थक भी अपनी पार्टी के भविष्य को लेकर आशंकित हैं. JD(U) और RJD के विलय की बात ने मामले को और बदतर बना दिया. अगर मुझसे इस मामले पर चर्चा की जाती तो मैं तेजस्वी के नेतृत्व के लिए राजी नहीं होता.

जब उपेंद्र कुशवाहा ने अपने सियासी भविष्य को लेकर कहा कि वो पार्टी का प्राथमिक सदस्य बनकर बहुत खुश हैं.JD(U) के RJD के साथ गठबंधन करने में कुछ भी गलत नहीं है. हालांकि, तेजस्वी को भविष्य के नेता के रूप में पेश करना JDU के अंत का संकेत देता है. JDU कुछ व्यक्तियों की पार्टी नहीं है.समता पार्टी में विलय से पहले शरद यादव ने इसका नेतृत्व किया. समता पार्टी का गठन जॉर्ज फर्नांडे्स ने किया था. बाद में नीतीश कुमार ने इसे संभाला. हमारे जैसे बहुत सारे लोगों ने भी JDU की ग्रोथ के लिए काम किया है. उन्होंने कहा कि दिसंबर के तीसरे हफ्ते में सीएम के सामने ये विषय उठाए. कुरहानी उपचुनाव में अपनी पार्टी की हार का विषय उठाया और तर्क दिया कि पिछले तीन उपचुनावों में वोट शेयर उम्मीद के मुताबिक नहीं था.”उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार बिहार को बुरे पुराने दिनों से बाहर लेकर आए हैं. अब यह बर्दाश्त नहीं होगा कि राज्य की कमान उसी परिवार को सौंप दी जाए जो इसकी दुर्दशा के लिए जिम्मेदार है.

तेजस्वी यादव को सीएम प्रोजेक्ट किए जाने के सवाल पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा निश्चित रूप से नीतीश कुमार RJD के किसी तरह के दबाव में हैं. लेकिन ऐसे फैसले एकतरफा नहीं लिए जा सकते. RJD के प्रदेश अध्यक्ष (जगदानंद सिंह) ने यह सुझाव दिया कि नीतीश कुमार RJD नेता (तेजस्वी) के लिए बिहार की कुर्सी छोड़ दें. उन्होंने पार्टी के कमजोर होने के मेरे सभी तर्कों को एक तरह से खारिज कर दिया… मैं निराश हो गया.”JD(U) नेताओं द्वारा महत्वाकांक्षी कहे जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, “यह किसी एक व्यक्ति या उसकी महत्वाकांक्षा का सवाल नहीं है. मैं इस बात से परेशान नहीं हूं कि CM सहित जदयू के शीर्ष नेता मेरे बारे में क्या कहते रहे हैं. मैंने कोई पार्टी विरोधी गतिविधि नहीं की है जिसके लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए.

उपेन्द्र कुशवाहा ने दावा कि वो पार्टी को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. एक राजनीतिक दल अपने बेस वोट के बिना जीवित नहीं रह सकता है. चाहे वह ओबीसी और लव-कुश (कुर्मी-कोइरी) हो, आर्थिक रूप से पिछड़ी जातियां (EBC) हों या फिर महादलित। 2020 विधानसभा चुनाव परिणाम ने यह दर्शाया. हाल ही में हुए उपचुनाव में भी यह दिखाई दिया कि हम जमीन गंवा रहे हैं. बीजेपी आगे बढ़ रही है, हमें नुकसान हो रहा है. मैं लोगों के बीच में जा रहा हूं क्योंकि नीतीश कुमार ने न तो इसपर चर्चा सही समझी औऱ न ही इससे पार पाने का कोई तरीका बताया.”

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