सिटी पोस्ट लाइव :JDU संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा जिस तरह से पार्टी पर ताबड़तोड़ हमले किये जा रहे हैं उससे तो ये साफ़ है कि वो ज्यादा दिन JDU में नहीं रहनेवाले लेकिन JDU उनके खिलाफ कारवाई करने से क्यों हिचकिचा रही है, ये सवाल सबके जेहन में उठ रहा है.दरअसल, JDU नेत्रित्व की परेशानी ये है कि वह उपेन्द्र कुशवाहा को शहीद बनने देना नहीं चाहती.अगर उन्हें पार्टी से निष्काषित किया जाएगा तो वो शहीद बन जायेगें.कहेगें कि पार्टी के हित की बात कर रहे थे तो उन्हें पार्टी से निकाल बाहर किया गया.
दूसरी वजह ये है कि अगर पार्टी उन्हें निष्काषित करती है तो उनकी विधान परिषद् की सदस्यता नहीं जायेगी यानी वो विधान पार्षद बने रहेगें जो पार्टी को मंजूर नहीं.पार्टी चाहती है कि वो खुद निकल जाएँ ताकि उनकी सदस्यता ख़त्म हो जाए.यहीं वजह है कि पार्टी उनके खिलाफ कारवाई नहीं कर रही बल्कि पार्टी के सारे नेताओं को उनके पीछे लगा दिया है .जाहिर है संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा लाख कोशिश कर लें लेकिन पार्टी नेतृत्व उन्हें पार्टी से निष्काषित नहीं करेगा.उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई भी नहीं होगी. वैसे यह भी तय है कि उपेंद्र कुशवाहा के वक्तव्य व कृत्य पर पार्टी की ओर से कुछ न कुछ काउंटर अटैक जरूर होता रहेगा.
लेकिन सवाल उठता है कि पार्टी में रहते हुए अगर इसी तरह से उपेन्द्र कुशवाहा नीतीश कुमार पर निशाना साधते रहे तो पार्टी को नुकशान हो सकता है.महागठबंधन में भी बवाल खड़ा करने की कोशिश वो कर चुके हैं.उपेन्द्र तो तेजस्वी यादव पर अपने को और अपने परिवार को मुकदमों से बचाने के लिए बीजेपी के ईशारे पर काम करने का आरोप लगा चुके हैं.आखिर नीतीश कुमार उन्हें कबतक बर्दाश्त करेगें?राजनीति के जानकारों का मानना है कि उपेन्द्र कुशवाहा के खिलाफ तभी कारवाई होगी जब पार्टी के लिए वो खतरा बनते नजर आयेगें.फिरहाल ऐसा खतरा नहीं दिखाई दे रहा.उनके आह्वान पर पार्टी के कितने नेता कार्यकर्त्ता जुटते है, ये देखना दिलचस्प होगा.
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