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बिहार में पांच दवा कंपनियां ब्लैकलिस्टेड.

ब्लैक लिस्ट की गई दवा कम्अपनियाँ सरकारी टेंडर में अगले एक साल तक नहीं ले पाएगीं भाग.

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सिटी पोस्ट लाइव :बिहार सरकार ने पांच बड़ी दवा कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया है. सरकारी अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति करने वाली पांच कंपनियों को सरकार ने काली सूची में डाल दिया है. जिन दवा कंपनियों का काली सूची में डाला गया है वे अगले एक वर्ष तक राज्य सरकार की किसी भी निविदा में भाग नहीं ले सकेंगी. राज्य स्वास्थ्य समिति ने सरकार के फैसले की जानकारी संबंधित कंपनियों को भी अवगत करा दिया है.

 

बिहार स्वास्थ्य सेवाएं आधारभूत संरचना निगम के गठन और निगम के स्तर पर केंद्रीकृत औषधि खरीद की व्यवस्था लागू होने के पूर्व जिला स्तर पर सरकारी अस्पतालों के लिए दवाओं की खरीद होती थी. क्रय समिति में सिविल सर्जन और अस्पताल अधीक्षक को यह शक्तियां दी गई थीं. जिलास्तर पर दवाओं की इस खरीद का महालेखाकर के अंकेक्षण दल द्वारा ऑडिट किया जाता था.बांका जिले में स्थानीय स्तर पर दवाओं की खरीद के लिए अलग-अलग कंपनियों को व्यवस्था के अनुरूप क्रय आदेश दिया गया. लेकिन संबंधित कंपनियों ने दवाओं की आपूर्ति नहीं की. लिहाजा स्थानीय स्तर पर सिविल सर्जन बांका ने जिला क्रय समिति के माध्यम से दवाएं खरीदीं.

 

अंकेक्षण में यह बात सामने आई कि दवा कंपनियों द्वारा आपूर्ति नहीं होने की वजह से दवाओं की खरीद में अधिक भुगतान करना पड़ा.महालेखाकार की आपत्ति के बाद लोकलेखा समिति ने संबंधित फर्म के खिलाफ कार्रवाई करते हुए प्रतिवेदन विधानसभा सचिवालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए.इस मामले में लंबी चली कार्रवाई के बाद राज्य स्वास्थ्य समिति ने संबंधित दवा कंपनियों को पक्ष रखने का मौका दिया. लेकिन दवा कंपनियों ने पक्ष नहीं रखा. इसके बाद स्वास्थ्य समिति ने दोषी कंपनियों निलक्लोन फार्मा, तारक फार्मा, मे. पैरेनटल ड्रग, बाला फार्मा और मे. विंग्स फार्मा को काली सूची में डाल दिया है.

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