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शराबबंदी के सभी आरोपितों को क्यों न जमानत दे दें?

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सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में शराबबंदी से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन की खातिर बुनियादी ढांचा तैयार करने में देर होने पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाईं है.सोमवार को जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि 2016 में बिहार मद्यनिषेध और उत्पाद अधिनियम बनाया गया था. राज्य सरकार ने विशेष अदालतों के गठन के लिए अबतक जमीन का आवंटन तक नहीं किया है.कोर्ट ने कहा कि जब तक बुनियादी ढांचा नहीं बन जाता, तब तक के लिए सभी आरोपितों को जमानत क्यों न दे दी जाए?

 

पीठ ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि जब तक बुनियादी ढांचे का निर्माण नहीं कर लिया जाता, तब तक के लिए मद्यनिषेध कानून में गिरफ्तार सभी आरोपितों को जमानत पर रिहा क्यों न कर दिया जाए? आप विशेष अदालत के गठन के लिए सरकारी भवनों को क्यों नहीं खाली करा लेते हैं?न्यायपालिका पर बोझ डालने वाले लंबित मामलों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि कानून के तहत 3.78 लाख से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन केवल 4,000 से अधिक का ही निस्तारण किया गया है. यही समस्या है. आप न्यायिक ढांचे और समाज पर इसके प्रभाव को देखे बिना ही कानून पारित कर देते हैं.

 

कोर्ट ने कहा कि जहां तक ​​शराब के सेवन के लिए जुर्माना लगाने का प्रावधान ठीक है, लेकिन इसका संबंध कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा अभियुक्तों को सजा देने की शक्ति से है.इस मामले में एमिकस क्यूरी एडवोकेट गौरव अग्रवाल ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय ने कार्यकारी मजिस्ट्रेटों को शक्तियां प्रदान करने के बारे में अपनी आपत्ति व्यक्त की है. इसके बाद पीठ ने राज्य सरकार के वकील को इस मुद्दे पर आवश्यक निर्देश प्राप्त करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया ताकि यह पता लगाया जा सके कि मामले में क्या किया जा सकता है.

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