राजनीति में अजातशत्रु और क्राइम के शहनशाह हैं अनंत सिंह.
9 की उम्र में मर्डर केस में जेल यात्रा,44 साल की उम्र में बने विधायक , हाथी-घोड़े के बड़े हैं शौक़ीन.
सिटी पोस्ट लाइव : मोकामा विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है.जब बात मोकामा की हो तो भला छोटे सरकार की चर्चा कैसे नहीं होगी.सजा हो जाने की वजह से इस सीट से अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी महागठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं. अनंत सिंह मोकामा विधानसभा सीट से लगातार पांच बार (फरवरी 2005, अक्टूबर2005, 2010, 2015 और 2020) चुनाव जीते. हालांकि सजायाफ्ता होने के चलते उनकी विधायकी चली गई है.अब उनकी राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए पत्नी नीलम सिंह मैदान में हैं.
अनंत सिंह की अपराध की दुनिया में इंट्री 11 वर्ष की उम्र में हो गई. वे हत्या के आरोप में जेल गए. 15वें वर्ष में जमीन विवाद के मामले में दूसरी बार जेल गए. फिर तो अपराध की दुनिया में ऐसा तहलका मचाया कि छोटे सरकार के नाम से कुख्यात हो गये.उनके खिलाफ अपहरण, हत्या, आर्म्स एक्ट, विस्फोटक सामग्री के कुल 39 मामले पुलिस थानों में दर्ज हैं.44 की उम्र में बिहार विधान सभा की चौखट पर उन्होंने दस्तक दे दी. अनंत सिंह के लिए पार्टी कभी महत्वपूर्ण नहीं रही. जेडीयू से भी लड़े और आरजेडी से भी. यहां तक की निर्दलीय भी लड़े पर जनता इनके साथ रही.
2004 लोकसभा चुनाव के समय सुरजभान सिंह का बाहुबल सिर चढ़ कर बोल रहा था. एक राजनीत के तहत साल 2004 में एलजेपी और आरजेडी के नेताओं ने एक साथ चुनाव लड़ने का मन बनाया और सुरजभान सिंह को बलिया लोकसभा से चुनाव लड़ाने का फैसला भी कर लिया. राजनीतिक गलियारों में इस नए गठबंधन से सुरजभान के जुड़ते ही कहा जाने लगा कि नीतीश कुमार के लिए बाढ़ लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतना आसान नहीं रह गया. इस खास समय में नीतीश जी के चुनाव प्रबंधन से जुड़े राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह सिंह की नजर अनंत सिंह पर पड़ी.कहते हैं तभी ललन सिंह ने अनंत सिंह को राजनीति में आने का प्रस्ताव दिया. फिर 2004 का वह दौर जब अनंत सिंह ने नीतीश कुमार को सिक्कों से तौल मोकामा जनपद में यह संदेश देने का काम किया कि वे नीतीश कुमार के साथ हैं.
2005 में अनंत सिंह जेडीयू की टिकट पर चुनाव लड़े और नलिनी रंजन सिंह को परास्त किया. साल 2010 के चुनाव में भी जेडीयू के टिकट पर अनंत सिंह चुनाव लड़े और इस बार लोजपा के सोनम देवी को परास्त किया. 2015 का चुनाव अनंत सिंह ने निर्दलीय लड़ा और इस बार पहले से भी अधिक मतों से जीते साल 2020 का चुनाव अनंत सिंह ने आरजेडी से लड़ा। इस बार उन्हें 78721 मत मिले और जेडीयू के राजीव लोचन सिंह को 42964 मत मिले.लोकतंत्र में जनता की सहमति से सत्ता की जो यात्रा अनंत सिंह ने शुरू की लेकिन उस पर विराम न्यायालय के एक आदेश ने लगाया. आर्म्स एक्ट में सजा हुई। विधायकी भी गई और अब उप चुनाव के मुहाने पर एक बार फिर अनंत सिंह अपरोक्ष रूप से चुनाव लड़ रहे हैं. इस बार उनकी बागडोर उनकी पत्नी संभालने जा रही हैं.
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