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केजरीवाल जैसा भविष्य का नेता बनने के सपने देख रहे युवा.

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सिटी पोस्ट लाइव : अरविन्द केजरीवाल की राह पर हैं प्रशांत किशोर ?ये सवाल इसलिए चर्चा में है क्योंकि जिस तरह से .अन्ना आंदोलन से नायक बनकर अरविंद केजरीवाल सत्ता पर काबिज हुये थे, उसी तरह से बिहार के युवा भी सपना देखने लगे हैं.धीरे धीरे प्रशांत किशोर के साथ युवाओं की फौज भी नेता बनने के सपने देखने लगी है. रिटायर्ड अफसर-कर्मचारी, वकील, समाज सेवियों में भी नेता बनने की उम्मीद जगी है. राजनीति से जुड़े लोग, जिन्हें कभी चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला या फिर RJD, JDU और बीजेपी जैसी पार्टियों में हाशिए पर हैं, उन्हें भी राजनीति में अपना भाग्य आजमाने का अवसर दिखने लगा है.

बिहार में 3500 किलोमीटर की यात्रा करने प्रशांत किशोर निकले हैं. हर पंचायत, कस्बा और शहर में जाकर लोगों से मिल रहे हैं.उनकी ये यात्रा सवा साल से लेकर डेढ़ साल तक चल सकती है.फिर वो केजरीवाल की तरह अपनी पार्टी बना सकते हैं. प्रशांत किशोर पहले पार्टियों के लिए चुनावी रणनीति बनाते रहे हैं, लेकिन 2 अक्टूबर 2022 को खुद को दोबारा राजनीति में लाॉन्च कर दिया. केजरीवाल ने अन्ना का सहारा लिया और प्रशांत किशोर गांधी जी का सहारा लेकर आगे बढ़ रहे हैं.उन्होंने अपनी इस राजनीतिक यात्रा की शुरुवात गांधी के भितिरह्वा आश्रम से की है.

वह मंच से जब बिहार की राजनीति बदलने की बात करते हैं.। बिहार में व्याप्त भ्रष्टाचार और सरकारी की कमियों को गिनाते हैं तो नीचे से नारे लगते हैं. यह नारा लगाने वाले युवा हैं. उनमें जोश दिख रहा है. एक उम्मीद दिख रही है। मंच पर रिटायर्ड अफसर-कर्मचारी, वकील और समाजेसवी मौजूद हैं.प्रशांत किशोर युवाओं को समझाते है कि उनके साथ जुड़ने पर सफलता की गारंटी है.वो बताते हैं कि 10 साल में कुल 11 चुनाव कराने का अवसर मिला है. एक यूपी का 2017 का चुनाव छोड़ दीजिए तो किसी चुनाव में हार का सामना नहीं करना पड़ा है.जब यह पीके कहते हैं तो युवा जोश में तालियां बजाते हैं और नारे लगाते हैं. पीके यही तो मैसेज देना चाहते हैं जो मेरे साथ जुड़ा वह हार का सामना नहीं करेगा.

पीके लोगों को समझाते हैं-मैं कोई नेता नहीं: पीके ने कहा- मैं कोई नेता नहीं हूं. वोट मांगने नहीं आए हैं. बरगला कर वोट मांगने नहीं आए हैं. एक नया समाज और प्रयास करना चाहते हैं. इसलिए समाज से आपके बीच से लोगों को ढूंढ कर निकाला जाए.ताकि आप अपने को वोट दें. कोई घर नहीं छोड़कर जाए.वह मैसेज देने की कोशिश करते हैं कि प्रत्याशी आपके बीच का होगा, जिसे आप ही तय करेंगे. बिहार में जब से पीके बिहार में सक्रिय हुए हैं तब से JDU और बीजेपी में हलचल ज्यादा है. उन पर दोनों पार्टियां एक-दूसरे के लिए काम करने का आरोप लगा रही हैं. मंच से पीके ने इसे भी क्लियर किया। उन्होंने से मैसेज दिया कि वे पार्टियों के जिताने का काम छोड़ चुके हैं. वह अब बिहार के लिए, आपके लिए काम कर रहे हैं.

फिलहाल पीके ने इसे स्पष्ट नहीं किया है कि वे पार्टी बनाकर चुनाव लड़ेंगे. वे शुरू में मंच से बोले कि वे कोई पार्टी नहीं बनाएंगे. लेकिन कुछ देर बाद कहा कि आगे देखेंगे. हालांकि ये तय है कि वह पार्टी बनाएंगे, लेकिन कब बनाएंगे यह एक साल बाद ही पता चल पाएगा.रिटायर्ड अफसर-कर्मचारी और समाजसेवी और बुद्धजीवी प्रशांत किशोर से जुड़ रहे हैं आगे चलकर इसमें से कई नेता बन सकते हैं.पीके की जन सुराज यात्रा से जुड़े लोगों की अपनी-अपनी उम्मीद हैं. केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को जिस तरह से सफलता मिली है और नए लोगों को राजनीति में आने का मौका मिला है, वैसे ही उम्मीदें लोग पीके की यात्रा से पाले हुए

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