सिटी पोस्ट लाइव :नीतीश कुमार पहले भी राहुल गांधी से मिल चुके थे.फिर 20 दिन के अन्दर ही उन्हें लालू यादव के साथ फिर से सोनिया के दरबार में क्यों जाना पड़ा.जाहिर है पहली मुलाक़ात में कोई ठोस आश्वासन सोनिया की तरफ से नहीं मिला.फिर क्या था लालू यादव अपने साथ लेकर नीतीश कुमार सोनिया के पास पहुँच गये.लेकिन ये क्या इसबार भी बात नहीं बनी.सोनिया गांधी ने न हाँ कहा और ना ही ना.ये कहकर इसबार भी उन्हें टरका दिया कि कांग्रेस के नए राष्ट्रिय अध्यक्ष से मिलिए और बात कीजिये.गौरतलब है कि अभी कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर घमाशान मचा हुआ है.अशोक गहलोत सबसे बड़े दावेदार हैं.
इससे पहले हरियाणा में इनेलो पार्टी की एक सभा में नीतीश कुमार ने कहा, ‘वे जिस गठबंधन पर काम कर रहे हैं दूसरा या तीसरा गठबंधन नहीं है. यह मुख्य गठबंधन है. सभी को मिलकर लड़ना है. एकजुट होइए. हम सभी एक साथ लड़ गए बीजेपी वाले बुरी तरह हार जाएंगे.जिस तरह नीतीश कुमार मिशन 2024 के लिए गैर-भाजपा दलों को गोलबंद करने के अभियान में जुटे हैं, सोनिया गांधी के साथ उनकी ये मुलाकात शिष्टाचार तक सीमित नहीं है.राजनीतिक जानकारों के अनुसार नीतीश कुमार को नए सिरे से तैयार हो रहे यूपीए का अध्यक्ष बनाया जा सकता है. इस जिम्मेदारी के साथ उन्हें भाजपा विरोधी दल के नेताओं को एकजुट करने का एक ऑफिशियल मंच भी मिल जाएगा.
JDU के राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के नेता इस मसले पर फिलहाल कुछ भी स्पष्ट बोलने से बच रहे हैं.ललन सिंह तो बारबार कह रहे हैं कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं.कांग्रेस के नेता भी इस मसले पर बोलने से बच रहे हैं.केवल RJD नीतीश कुमार को इसके लिए योग्य उम्मीदवार बता रहा है.सबसे ज्यादा फायदा उसे ही मिलनेवाला भी है.नीतीश कुमार के राष्ट्रिय राजनीति में उतरने के साथ ही तेजस्वी यादव को सीएम की कुर्सी पर बैठने का मौका मिल जाएगा. नीतीश कुमार को आगे कर देने से ऐसे दल के नेता भी साथ आ जाएंगे जो कांग्रेस के साथ फिलहाल सहज नहीं हैं. लेकिन बिना सोनिया या राहुल गांधी के शीर्ष पद पर रहने के ये संभव नहीं दिख रहा है.’
अगर 2024 के चुनाव में 150 सीटों पर क्षेत्रीय पार्टियां जीता जाती हैं और कांग्रेस 100-125 सीटें जीतने में कामयाब रह जाती हैं तो एक ऐसी स्थिति बन सकती है कि भाजपा को रोका जा सके. कांग्रेस अपने पारंपरिक इलाके को स्ट्रांग करने में जुट गई है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का मकसद भी यहीं है. तमिलनाडु से शुरू होकर ये यात्रा केरल में गई. इसके बाद ये यात्रा कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश होते हुए आगे जाएगी. यह यात्रा न ही बंगाल, न बिहार और बहुत ज्यादा यूपी को छू रही है. कांग्रेस का लक्ष्य 100 सीट के करीब अपना आंकड़ा पहुंचाना है.
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में भी दिख रहा है कि नेहरु-गांधी परिवार से इतर अध्यक्ष को चुनने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. राहुल गांधी को इस बात का अंदाजा है कि कांग्रेस पार्टी फिलहाल किस स्थिति में है और इससे उबरने के लिए किस तरह के चैलेंज हैं. ऐसे में अब वो लगभग इस बात को मान लिए हैं कि जब तक हाफ सीट नहीं ला पाएंगे पीएम पद पर चैलेंज करना मुनासिब नहीं होगा. जब तक कांग्रेस को 125 या 150 सीटें नहीं आएंगी वो प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी नहीं करेगी.लेकिन क्या कांग्रेस नीतीश कुमार को पद का उम्मीदवार मान लेगी? क्या केवल कांग्रेस के मान जाने से विपक्ष गोलबंद हो जाएगा? क्या अरविन्द केजरीवाल, ममता बनर्जी जैसे नेता नीतीश कुमार को नेता मान लेगें ?इन सवालों का जबाब अभी किसी के पास नहीं है.
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