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बिहार के गया में आज 9वें दिन पिंडदान का खास है महत्व.

पितृपक्ष में पड़ने वाली मातृ नवमी के दिन दादी, मां, बहन, बेटी आदि के लिए श्राद्ध किया जाता है.

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सिटी पोस्ट लाइव : पितृपक्ष मेला का आज नौवां दिन है. ऐसी मान्यता है कि आज के दिन कश्यप पद पर पिंडदान अर्पित करने से पितरों को मोक्ष मिलता है.आज के दिन पिंडदान अर्पित कर गजकर्ण पद पर तर्पण करने का विधान हैं. इस दिन पिंडदान और तर्पण करने से पूर्वजों को अक्षय लोक की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में पितरों या फिर कहें दिवंगत हो चुके परिजनों के मोक्ष की कामना के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि करने की परंपरा चली आ रही है. मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों के लिए श्रद्धा के साथ श्राद्ध करने पर न सिर्फ उन्हें मुक्ति मिलती है, बल्कि हमें उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. पितृपक्ष में दिवंगत लोगों की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है.

18 सितंबर 2022 को सायंकाल 4:32 बजे से आश्विन मास के कृष्णपक्ष की नवमी तिथि प्रारंभ होकर 19 सितंबर 2022 को सायंकाल 7:01 बजे तक रहेगी. इस दिन पितरों के निमित्त किए जाने वाले श्राद्ध के लिए सबसे उत्तम समय मानी जाने वाली 19 सितंबर को प्रात:काल 11:50 से दोपहर 12:39 बजे तक रहेगी. ऐसे में 19 सितंबर 2022 को इसी समय में मातृ नवमी का श्राद्ध करने का प्रयास करें.मातृ नवमी के दिन प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और उसके बाद साफ कपड़े पहनकर कुतुप बेला में पितरों का विधि-विधान से श्राद्ध करें. इसके लिए सबसे पहले किसी एक सफेद चौकी या मेज पर दिवंगत महिला की तस्वीर रखें और यदि उनकी तस्वीर न हो तो वहां पर पूजा की सुपारी रख दें. उस पर फूल, तुलसी और गंगजल चढ़ाएं और उनकी फोटो के आगे तिल का दीपक और धूपबत्ती जलाएं.. इस पूजा के बाद यदि संभव हो तो गरुड़ पुराण, गजेन्द्र मोश्र या भगवत गीता के नौवें अध्याय का पाठ करें अथवा सुनें. इसके बाद श्राद्ध के भोजन को दक्षिण दिशा में रखें और ब्राह्मण को भोजन कराएं और उसे सामर्थ्य के अनुसार दान करें.

हिंदू धर्म में पितृपक्ष में पड़ने वाली मातृ नवमी के दिन परिवार से जुड़ी उन दिवंगत महिलाओं जैसे दादी, मां, बहन, बेटी आदि के लिए विशेष रूप से श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु सुहागिन के रूप में होती है. इसे अविधवा श्राद्ध भी कहते हैं.मान्यता है कि इस दिन परिवार से जुड़ी महिलाओं के लिए विधि-विधान से श्राद्ध करने पर उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है, जिससे प्रसन्न होकर वे अपना आशीर्वाद आपके घर पर बरसाती हैं.

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