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झारखंड में BJP के साथ जा सकते हैं हेमंत सोरेन, द्रौपदी मुर्मू को समर्थन का एलान

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सिटी पोस्ट लाइव :राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी ने एक आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाकर कई राज्यों के राजनीतिक समीकरण को पूरी तरह से बदल दिया है. झारखंड में इसका असर साफ़ दिखाई देने लगा है. कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रहे हेमंत सोरेन बीजेपी के करीब जाते नजर आ रहे हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने आदिवासी महिला मुर्मू के समर्थन का ऐलान कर विपक्ष की चिंता बढ़ा दी है. पहले राज्यसभा और फिर राष्ट्रपति चुनाव में जिस तरह सत्ताधारी गठबंधन में दरार पैदा हुई है, उसके बाद जल्द ही यहां सरकार बदलने की अटकलें लग रही हैं. पिछले दिनों झारखंड को 16800 करोड़ की परियोजनाओं की सौगात देने पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी और हेमंत सोरेन के बीच जिस तरह मधुरता दिखी उसे भी संकेत माना जा रहा है.

गौरतलब है कि ये राजनीतिक बदलाव ऐसे समय में हो रहा है, जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेने पर जांच एजेंसियों का फंदा कसा हुआ है. कांग्रेस के नेताओं के अनुसार जांच की वजह से हेमंत सोरेन बीजेपी के दबाव में आ गए हैं.वो सोरेन बीजेपी के साथ जाकर जांच एजेंसियों से पीछा छुड़ाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं.गौरतलब है कि यूपीए में शामिल कांग्रेस और आरजेडी ने विपक्ष के उम्मीदवार झारखंड के निवासी यशवंत सिन्हा को समर्थन देने का ऐलान किया है. शुरुआत में झामुमो ने भी यशवंत के नाम पर सहमति जताई थी, लेकिन बीजेपी की ओर से आदिवासी नेता और झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम का ऐलान किए जाने के बाद समीकरण बदल गए. यदि द्रौपदी मुर्मू चुनाव जीतती हैं तो वह देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाली पहली आदिवासी होंगी.

गौरतलब है कि झारखंड में आदिवासियों की एक बड़ी आबादी है और खुद को इनकी सबसे हितैषी पार्टी के रूप में पेश करने वाली जेएमएम को मुर्मू के खिलाफ जाने पर राजनीतिक तौर पर बड़े नुकसान की आशंका थी. मुर्मू और सोरेन दोनों संताल समुदाय से आते हैं, जिसकी झारखंड और पड़ोसी राज्य ओडिशा में बड़ी आबादी है.जेएमएम ने मुर्मू को समर्थन का ऐलान ऐसे समय पर किया जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरने और उनके कई सहयोगियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई केस चल रहे हैं. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) समेत अन्य एजेंसियों ने हाल ही में कई बार छापेमारी की है. खनन लीज मामले और मनी लॉन्ड्रिंग केस में खुद सोरेन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. बीजेपी ने उन्हें अयोग्य घोषित करने की मांग भी की है, जिस पर चुनाव आयोग में 5 अगस्त को अगली सुनवाई होनी है.
12 जून को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देवघर पहुंचे तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जिस तरह गर्मजोशी से उनका स्वागत किया और केंद्र सरकार के सहयोग की तारीफ की उससे ये संकेत तो मिल ही गया है कि वो बीजेपी के दबाव में आ चुके हैं.पीएम के दौरे से पहले सोरेन ने खुद तैयारियों का जायजा लिया था. पीएम मोदी के साथ मंच पर बैठे सोरेन लगातार उनसे बातचीत करते रहे तो यह भी कहा कि यदि केंद्र सरकार का सहयोग जारी रहा तो अगले 5-7 सालों में झारखंड देश के अग्रणी राज्यों में शामिल होगा. उन्होंने यह भी कई बार कहा कि देवघर के एयरपोर्ट और एम्स का सपना काफी पुराना था, जिसे पीएम मोदी ने आकर पूरा किया है.

सूत्रों का यह भी कहना है कि जेएमएम ने काफी सोच विचार के बाद मुर्मू के समर्थन का ऐलान किया है और यह पीएम मोदी-मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बीच दिखी ‘मधुरता’ का भी परिणाम है. सोरेन ने 27 जून को दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की. लेकिन वह उसी दिन दिल्ली में यशवंत सिन्हा के नामांकन में नहीं पहुंचे, जहां यूपीए के कई नेता मौजूद थे. हालांकि, शाह और सोरेन में क्या बातचीत हुई यह तो साफ नहीं है, लेकिन आधिकारिक रूप से सिर्फ इतना कहा गया कि राज्य को लेकर महत्वपूर्ण मुद्दों पर दोनों नेताओं ने बातचीत की.

झारखंड में 14 लोकसभा सीटें हैं, इनमें से 11 बीजेपी के पास हैं तो जेएमएम, कांग्रेस और ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन के पास एक एक सीटें हैं. राज्यसभा की छह सीटों में से तीन पर भाजपा का कब्जा है, दो जेएमएएम के पास है तो एक कांग्रेस के पास है. विधानसभा की बात करें तो 81 सीटों वाले सदन में जेएमएम-कांग्रेस और आरजेडी के पास कुल 48 सीटें हैं, जिनमें सर्वाधिक 30 सीटें जेएमएम की है. बीजेपी के पास 26 विधायक हैं.ऐसे में हेमंत सोरेन के बीजेपी के साथ जाने और कांग्रेस को छोड़ देने की संभावना बहुत बढ़ गई है.

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