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योग की ऐतिहासिक नगरी मुंगेर में चतुर्थ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया

मुंगेर जिले की योग पद्धति देश लेकर विदेश तक प्रमुखता से पढ़ी जाती है

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योग की ऐतिहासिक नगरी मुंगेर में चतुर्थ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया

सिटी पोस्ट लाइव : मुंगेर को ऐसे ही योग की नगरी नहीं कही जाती है। इसके पीछे भी कई ऐसे सिद्ध योगी और गुरुओं की कड़ी मेहनत और लगन का प्रतिफल है कि इसे आज भी लोग मुंगेर को योग की नगरी के नाम से जानते हैं। मुंगेर को इस मुकाम तक पहुंचाने में कई सिद्धि योग का हाथ है लेकिन इन में से सबसे पहला नाम बिहार योग विशविद्यालय मुंगेर के प्रेरक और संस्थापक श्रीस्वामी सत्यानंद सरस्वती का सामने आता है, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से मुंगेर की इस नगरी को योग की नगरी बना दिया। इस योग की नगरी में योग करने के लिए देश के कई गणमान्य व्यक्ति भी शामिल हुए हैं। जिनमें से बाबा रामदेव, न्यूजीलैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लिथ हालोस्की, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तथा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी व मोरारजी देसाई समेत कई जाने माने लोग शामिल हो चुके हैं। वर्ष 1963  में मुंगेर आये  सत्यानंद सरस्वती ने लोगों को योग का प्रशिक्षण देना शुरू किया। वहीं मुंगेर जिला परिषद में योग विद्यालय का भी स्थापना किया गया।  मुंगेर स्थित गंगा तट के पास एक पहाड़ी पर कुछ असामाजिक तत्व के लोगों ने अपना अड्डा बना लिया था। जिसकी वजह से लोग इस रास्ते से दिन में भी गुजरने के लिए कतराते रहे थे। वहीं उसी रास्ते में पड़ने वाले ऐतिहासिक करण चौराहा प्राचीन जर्जर भवन पर प्रशासन की नजर तो थी लेकिन असामाजिक तत्वों के तांडव के वजह से वह और भी जर्जर हालत में पहुंच चुकी थी।लेकिन स्वामी सत्यानंद सरस्वती नीडर भाव से वहां पहुंचे और अपने गुरु स्वामी शिवानंद सरस्वती की प्रेरणा से शिवानंद योगासन किया स्थापना वर्ष 1964 मे बसंत पंचमी के दिन स्मृति में अखंड दीप जलाते हुए किया। यह अखंड दीप आज दीप प्रज्वलित है। जिसके बाद तब से लेकर आज तक सत्यानंद सरस्वती के द्वारा स्थापित किया गया बिहार स्कूल ऑफ योगा योग में बेहतर शिक्षा देने का काम करते हुए पूरे विश्व में करीब 56 से अधिक देशों में योग आश्रम की शाखाएं खुलते हुए अपना नाम रोशन किया है। वहीं हर वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस के अवसर पर यह विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। बिहार के मुंगेर जिले की योग पद्धति आज देश में नहीं विदेश में भी प्रमुखता से पढ़ी जाती है। आपको बताते चलें आज भी फ्रांस की शिक्षा पद्धति में भी मुंगेर योग संस्थान के संस्थापक सत्यानंद के सहयोग से ​​योग की पढ़ाई जाती है।

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