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पटना मेट्रो प्रोजेक्ट फंसने की आशंका, डिपोजमीन के सर्वे में गड़बड़ी आई सामने.

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सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में मेट्रो के काम में बड़ी अड़चन आ गई है.जमीन के सर्वे में गड़बड़ी सामने आने से प्रोजेक्ट में बड़ा पेंच फंस गया है.पटना-गया रोड में आईएसबीटी के सामने पटना मेट्रो डिपो के निर्माण में पेच फंस गया है. इस हिस्से के पहाड़ी इलाके में डिपो बनाने और इसके लिए 11.3 हेक्टेयर जमीन (76.645 एकड़) की मांग को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं.कहा जा रहा है कि डिपो के साथ ही प्रॉपर्टी डेवलपमेंट के नाम से मेट्रो कॉरपोरेशन द्वारा आवश्यकता से अधिक जमीन मांगी गई है. आशंका जताई गई है कि डिपो के नाम पर जमीन लेकर आसपास शौपिंग मॉल बनाए जाएंगे.

गौरतलब है कि इतनी जमीन के अधिग्रहण से बड़ी संख्या में लोगों का विस्थापन होना है, जबकि सामाजिक मूल्यांकन सर्वे में दर्जनभर मकान टूटने की बात कही गई है. सर्वे में गलत रिपोर्ट प्रस्तुत करने की बात भी सामने आई है. गुरुवार को डीएम जनसुनवाई में पुरे मामले का खुलासा हुआ है. लोगों ने पटना मेट्रो कॉरपोरेशन के प्रस्ताव पर तार्किक सवाल उठाए तो कई मामले सवालों में घेरे में आ गए. मामले की गंभीरता को देखते हुए ही डीएम ने फिर से अगली सुनवाई 3 मार्च को रखी है और इसमें पटना मेट्रो के साथ ही नमामि गंगे प्रोजेक्ट के अधिकारियों को पूरी जानकारी के साथ उपस्थित होने के लिए कहा है.

पटना मेट्रो पर तथ्य छिपाने और गड़बड़ी का आरोप लगाने वाले किसानों का आरोप है कि एसआईए के दौरान किसानों का पक्ष नहीं सुना गया है. स्थानीय लोगों और किसानों के मुताबिक यहां आवासीय और व्यावसायिक जमीन है.मेट्रो डेपो को दूसरी जगह पर स्थानांतरित किया जा सकता है. गौरतलब है कि पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर ही डीएम ने स्थानीय लोगों की शिकायत सुनने की तिथि तय की है.दरअसल,पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को डिपो के लिए जमीन देने की प्रक्रिया शुरू की गई. जिला प्रशासन ने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी और 23 दिसंबर तक किसानों से दावा-आपत्ति लिया गया.

इस पर सुनवाई के बाद 15 दिन में दर तय करने और कागजात तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की गई.लेकिन, तबतक यह मामला हाईकोर्ट में चला गया और इसके बाद से यह प्रोजेक्ट फंसा हुआ है.इससे पहले जिला प्रशासन ने प्रभावित लोगों व किसानों को बैंक अकाउंट के माध्यम से मुआवजे को भुगतान शुरू करने की तैयारी में था, लेकिन अबतक यह रुका हुआ है.पटना मेट्रो ने डिपो बनाने के लिए पहले से प्रस्तावित जगह को बदल दिया. इसके लिए तर्क दिया गया है कि रामचक बैरिया व एतवारपुर में ऐतिहासिक स्थल को बचाने के लिए डिपो निर्माण की जगह को बदलकर पहाड़ी मौजे में स्थानांतरित किया गया है. लेकिन लोगों ने सवाल उठाया है कि रामचक बैरिया व एतवारपुर में कौन-सा ऐतिहासिक स्थल है, जिसको क्षति पहुंच सकती है?

पटना मेट्रो कॉरपोरेशन की ओर से पहाड़ी इलाके में डिपो बनाने के लिए अधिसूचना जारी की गई.अदिसुचना के अनुसार पहाड़ी इलाके मौजा में डिपो बनने से किसी का विस्थापन नहीं होगा, लेकिन लोगों ने कलेक्टर के सामने यह बताया कि पहाड़ी में जमीन अधिग्रहण से 1200 परिवार प्रभावित होंगे.रिपोर्ट में कहा गया है कि पहाड़ी का इलाका एतवारपुर से ऊंचाई पर है, जबकि गूगल मैप के अनुसार पहाड़ी का क्षेत्र समुद्र तल से 47 मीटर और एतवारपुर 50 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.इससे निर्माण लागत तो बढ़ेगी ही, इसके अलावा पूरे शहर का पानी पहाड़ी क्षेत्र में ही गिराया जाता है. यदि इसे भर दिया जाएगा तो आने वाले दिनों में फिर से राजधानी में जलजमाव का संकट संभव है.

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