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दरभंगा राजपरिवार से जुड़े संपत्ति विवाद में चार को ज़िंदा जलाने की कहानी.

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सिटी पोस्ट लाइव :बिहार के दरभंगा शहर के नगर थाना क्षेत्र के रिहायशी इलाके में चार लोगों को जिंदा जला देने का मामला गरमाता जा रहा है.गिरिन्द्र मोहन पथ में जेसीबी से जबरन मकान तोड़ने और घर के लोगों पर ज्वलनशील पदार्थ फेंक का आग लगाकर चार लोगों को जिंदा जलाकर मार देने की घटना से लोग सकते में हैं.इस घटना में दिवंगत श्रीनाथ झा के परिवार के चार लोग आग से झुलस गए. उनकी 36 वर्षीय आठ माह की गर्भवती पुत्री पिंकी झा और बेटे संजय झा 80 प्रतिशत तक जल गए. बुरी तरह जल जाने से पिंकी के गर्भपात की पुष्टि 13 फ़रवरी को पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हुई.

गर्भपात के दूसरे दिन मंगलवार 15 फ़रवरी की सुबह पिंकी झा की दर्दनाक मौत हुई और उसी दिन दोपहर में परिवार के एकमात्र संतान संजय झा की भी मौत हो गई.पिंकी झा के पति अक्षय झा बेतिया में स्कूल शिक्षक हैं और अपनी बेटी से हुई बातचीत के बाद वो पहले दरभंगा पहुंचे और फिर अपनी पत्नी और साले को इलाज के लिए पटना लेकर आए.पत्नी की इस तरह से हादसे में हुई मौत के बाद वह बात करने की स्थिति में भी नहीं हैं.पीड़ित परिवार का दावा है कि जबरन जेसीबी से मकान तोड़ने के लिए पहले बीते बुधवार नौ फ़रवरी को घर पर दो दर्जन से अधिक लोग यहां पहुंच गए, गालीगलौज और मारपीट की. इस दौरान न तो नगर थाना से और न ही एसपी से उन्हें कोई मदद नहीं मिली.परिवार का आरोप है कि अगले दिन यानी गुरुवार 10 फरवरी को उन लोगों को थाने से भगा दिया गया.

उस दिन शाम की घटना का ज़िक्र करते हुए मृतक पिंकी झा की छोटी बहन 23 साल की निक्की झा बताती हैं, “जो लोग बुधवार को आए थे वही लोग गुरुवार को फिर से घर पर आए. आते ही उन लोगों ने घर को ढहाना शुरू कर दिया. जब हमलोगों ने इसका विरोध किया तो उनलोगों ने हमपर ज्वलनशील पदार्थ फेंक कर आग लगा दिया.””हम भाग रहे थे और आग की लपटें हमारा पीछा कर रही थीं. किसी तरह हम लोगों ने जान बचाकर लगभग नग्नावस्था में पड़ोसी के घर में शरण ली. सब कुछ पुलिस की मौजूदगी में हुआ था.”
पीड़ित परिवार बीते जमाने के दरभंगा राजपरिवार से संबंधित है. तीन लोगों को ज़िंदा जलाकर मार दिए जाने कि इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद नीतीश प्रशासन में इस घटना को लेकर कहीं कोई उबाल नहीं दिखा है.इस मामले में ज़िला पुलिस ने एक नामजद आरोपी शिव कुमार झा के अलावा 40 अज्ञात लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया है. आठ लोगों को मुज़फ़्फ़रपुर, दरभंगा और मधुबनी से गिरफ़्तार किया गया. डीएसपी के नेतृत्व में एसआईटी गठित कर ली गयी है. नामजद अभियुक्त की गिरफ़्तारी के लिए वारंट और कुर्की अदालत से लेने का प्रयास ज़िला पुलिस कर रही है.

इतनी बड़ी घटना पर न तो राज्य के सत्तारूढ़ दल और न ही विपक्षी दलों की ओर से और न ही पुलिस प्रशासन की ओर से कोई बयान जारी किया गया है.इस घटना के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक यह भूमि विवाद से जुड़ा मामला है. स्थानीय मीडिया में प्रकाशित ख़बरों और पुलिस के मुताबिक दोनों पक्षों के बीच घर के मालिकाना हक़ को लेकर पहले से ही हाई कोर्ट में मामला लंबित है और प्रमंडलीय आयुक्त, दरभंगा ने अप्रैल, 2021 को विवादित जगह पर किसी भी निर्माण कार्य पर स्टे लगा रखा है. इसकी पुष्टि पीड़ित परिवार ने भी की है.

पीड़ित परिवार के सदस्य बताते हैं “1990 में यह मकान हमारे मौसा कुमार सुहेश्वर सिंह ने हमें गिफ्ट किया. इसकी लिखित जानकारी उन्होंने नगर थाना में भी दी थी. कुमार सुहेश्वर सिंह महाराजा कामेश्वर सिंह के भतीजे थे, जिनका निधन 2006 में हो गया था. यहां हमलोग पिछले 40 सालों से रह रहे हैं. वर्ष 2017 में हमारे मौसेरे भाई कपिलेश्वर सिंह ने इस ज़मीन को इस कांड के नामजद अभियुक्त शिव कुमार झा को बेच दिया.”वह कहते हैं, ”इसकी जानकारी हमें छह माह बाद हुई. दरभंगा ज़िला अदालत से यह मामला पटना हाई कोर्ट तक पहुंचा, जहां आज भी यह मामला लंबित है. इसी के तहत दरभंगा के प्रमंडलीय आयुक्त ने भी इस जगह पर किसी भी निर्माण कार्य पर अप्रैल, 2021 से रोक लगा रखी है.”

आग लगा कर मार डालने की दरभंगा की इस घटना ने अब राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया है. इस घटना के विरोध में महागठबंधन के घटक दल सीपीआई (एमएल) ने बुधवार को दरभंगा बंद का आह्वान किया. दल की जांच टीम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार को भूमाफिया राज की संज्ञा दी. साथ ही थाना प्रभारी और पुलिस अधीक्षक की भूमिका की जांच की मांग की और एक सप्ताह के भीतर मुख्य अभियुक्त शिव कुमार झा की गिरफ़्तारी की मांग भी की.

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