शराबबंदी के नाम पर दलित और महादलितों पर अत्याचार कर रही है सरकार : शरद यादव
बिहार सरकार छात्र-छात्राएं आत्महत्या करने पर विवश हैं
सिटी पोस्ट लाइव : एक कार्यक्रम में शिरकत करने सहरसा पहुंचे लोकतांत्रिक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने सहरसा परिसदन में नीतीश कुमार पर जमकर भड़ास निकाली। शरद ने कहा कि बिहार सरकार के द्वारा जो नई खनन नीति बनाई गई है, इससे बिहार के सभी वर्गों के लोग परेशान हैं क्योंकि जो बालू 3000 से 3500 /100 cft मिलता था वो अब 8000-9000/100 cft मिलता है। ठीक यही हालात मिट्टी का भी है, जो अपनी खेतों की काली मिट्टी नहीं काट सकते हैं। यह कैसा अंग्रेजी कानून है।
प्रेस को संबोधित करते हुए यादव ने आगे कहा कि मक्का/धान/गेहूं/मूंग की फसल बड़े पैमाने पर होती है। मक्का का उत्पादन भी बड़े पैमाने पर होता है लेकिन किसान मक्का लेकर बैठे रहते हैं, परन्तु उसे खरीदने वाला कोई नहीं है।सरकार की समुचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण आज किसान भुखमरी के कगार पर हैं। उन्होंने आगे कहा कि मध निषेध सरकार का शराबबंदी कानून के कारण आज हजारों गरीब और दलित, अति पिछड़ा एवं आदिवासी जेल में बंद है जो कि नीतीश के तुगलकी फरमान का हिस्सा है।
मुख्यमंत्री के सात निश्चय योजना में एक महत्वपूर्ण योजना हर घर जल का नल को लेकर शरद ने कहा कि यह योजना पूरी तह से विफल है और कोसी प्रमंडल की आम जनता प्रदूषित पानी पीने को विवश हैं। कहीं भी दीया योजना धरातल पर दिख नहीं रहा है। पेंशन योजना योजना को लेकर हमलावर होकर शरद ने कहा कि वृद्ध विधवा या विकलांग पेंशन योजना में भारी परेशानी पैदा कर दिया गया है। आधार कार्ड से जोड़ने के नाम पर हजारों पेंशनधारियों को परेशान कर के उन्हें लाभ से वंचित कर दिया है।
शिक्षा पर शरद ने कहा कि आखिर क्या कारण है मैट्रिक और इंटर के परीक्षा परिणाम में बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आ रही है जिससे मेधावी छात्र-छात्राएं आत्महत्या करने पर विवश हैं। बड़े पैमाने पर छात्रों द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है। आखिर सरकार का मंसा क्या है? शरद की मानें तो, ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों के अधिकार को निष्क्रिय कर दिया गया है। मनरेगा तो मजाक बनकर रह गया है और मजदूरी नहीं मिलने के कारण हजारों मजदूर प्रतिदिन दूसरे प्रांत पलायन को मजबूर हैं।
बीते कुछ महीने पूर्व सहरसा के डेंगराही घाट पर पुल निर्माण के लिए 17 दिनों तक सैंकड़ों लोगों की उपस्थिति में आमरण अनशन हुआ था। यह राष्ट्रीय खबर बन गई थी। तत्कालीन प्रतिपक्ष के नेता प्रेम कुमार के द्वारा अनशन यह बोल कर खत्म करवाया गया था कि सरकार में आएंगे तो पुल निर्माण करवाएंगे लेकिन सरकार में आने के बाद भी इस पुल निर्माण पर अभीतक कोई पहल नहीं की गई है। स्थानीय मत्स्यगंधा झील जीणोंद्वार के लिए स्वयं नीतीश कुमार 3 घंटे तक मुआयना और सर्वेक्षण किया और आदेश एवं निर्देश दिया लेकिन यह सब आदेश-निर्देश बेकार साबित हुए ।एम्स के सवाल पर उन्होंने साफ लहजे में कहा कि एम्स के लिए सहरसा में स्थल है।
सहरसा में एम्स के लिए 218 एकड़ भूमि का जिला प्रशासन ने भारत सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है इसलिए एम्स का निर्माण सहरसा में किया जाएगा। स्वास्थ्य व्यवस्था वर्तमान समय में बिल्कुल ठीक नहीं है। सदर अस्पताल में बैंडेज-पट्टी और सिरिंच और आईबी सेट तक नहीं है। आखिर गरीब जाए तो जाए कहां? बैंक का नाटक गजब का है। खाते में पैसा है लेकिन देने में बैंक असमर्थ है। बेटी की शादी हो या ईलाज करवाना हो तो बैंक हाथ खड़ा कर देती है। यह कैसा कानून है जहां लाभ है की जगह बाधाएं और नुकसान उठाना पड़े। कोसी में कृषि के लिए सिंचाई हेतु नहर की खुदाई की गई लेकिन एक भी नहर में पानी नहीं रहने के कारण कृषि पर असर पड़ता है जिसका खामयाजा किसानों को भुगतना पड़ता है।
सहरसा से संकेत सिंह की रिपोर्ट
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