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वेतन निर्धारण के लिये बना ऑनलाइन केलकुलेटर पूरी तरह असफल : टीपीएसएस

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सिटी पोस्ट लाइव : शिक्षा विभाग ने बिहार के नियोजित शिक्षकों को 15% वेतन वृद्धि का लाभ देने के लिये ऑनलाइन केलकुलेटर बनाया है लेकिन इससे शिक्षकों के वेतन विसंगति की समस्या घटने के बजाय बढ़ते ही जा रही है। सभी जिलों में शिक्षकों के बीच अफरातफरी का माहौल है। टीईटी प्रारंभिक शिक्षक के राज्य संयोजक राजू सिंह और महासचिव आलोक रंजन ने प्रेसविज्ञप्ति जारी कर कहा कि प्राथमिक शिक्षा निदेशक के पत्रांक-809, दिनांक 05-12-2012 की कंडिका 3 (iv) के अनुसार, “स्नातक ग्रेड के रुप में नियोजित शिक्षक,बेसिक ग्रेड के नियोजित शिक्षकों से वरीय होंगे।” और पुनः15% वेतन वृद्धि संबंधी विभागीय आदेश सं० 1816 दिनांक 12.11.2021 की कंडिका 7 (iii) के अनुसार “यदि किसी शिक्षक का मूल वेतन,अपने से कनीय शिक्षक से कम निर्धारित होता हो, तो वरीय शिक्षक का मूल वेतन, कनीय शिक्षक के मूल वेतन के अनुरूप निर्धारित होना चाहिए.

जबकि 01-07-2006 को शिक्षा मित्र से बेसिक ग्रेड नियोजित शिक्षक के रूप में समायोजित एवं 2010 तक बहाल नियोजित शिक्षकों का मूल वेतन अपने से वरीय ग्रेड में बहाल स्नातक ग्रेड शिक्षकों से अधिक निर्धारित हो रहा है,जो कि कतई न्यायसंगत नहीं है। साथ ही साथ यह विभागीय आदेशों की अवमानना भी है। वहीं दूसरी तरफ संयोजक राजू सिंह ने कहा कि माननीय शिक्षा मंत्री ने सदन में कई बार पूरे दावे के साथ कहा था कि ऑनलाइन कैलकुलेटर आने के बाद सभी तरह की वेतन संबंधी विसंगतियां दूर हो जाएंगी, विभागीय पत्रों में भी पदाधिकारियों के द्वारा ऐसे दावे लगातार किए जा रहे थे, परंतु पूर्व की विसंगतियां को यथावत रही हीं, प्रदेश के विभिन्न जिलों से नई विसंगतियों के भी हजारों शिकायतें हर रोज सामने आ रही है।

स्थानीय पदाधिकारी के मन में जो आ रहा है उस हिसाब से वेतन निर्धारण कर रहे हैं। साथ ही नव प्रशिक्षित शिक्षकों को इंडेक्स-3 की बाध्यता में बांध देने से हजारों की संख्या में शिक्षकों को प्रतिमाह हजारों रुपए का नुकसान हो रहा है। इसलिए संघ विभाग से मांग करती है कि वह इंडेक्स-3 की बाध्यता को समाप्त करे। वहीं विभाग के द्वारा निर्गत पत्र के अनुरूप वरीय शिक्षकों के वेतन को कनीय के समकक्ष या उससे ज्यादा निर्धारित करें जैसे कि स्नातक ग्रेड के शिक्षकों का वेतन बेसिक ग्रेड से ज्यादा निर्धारित हो। संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकार टीईटी शिक्षकों की हकमारी लगातार कर रही है ।अगर शिक्षा विभाग ने इंडेक्स 3 की बाध्यता की समाप्ति और स्नातक ग्रेड शिक्षकों की वरीयता सुनिश्चित नहीं करेगी तो बाध्य होकर संघ न्यायलय की शरण मे जाएगा।

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