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कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर लगती है कोनहारा घाट पर दुनिया का सबसे बड़ा भूतों का मेला

घाट पर मौजूद तांत्रिक का दावा, बिना दवा के स्वस्थ होते हैं लोग

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सिटी पोस्ट लाइव : एक तरफ देश आधुनिकता की ओर अग्रसर है. तो दूसरी तरफ आज भी गांव में लोग प्राचीन संस्कृति और अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं. वैसे इसमें कुछ सही है तो कुछ गलत. अपनी संस्कृति के अनुकूल लोग धर्म-कर्म करते हैं, इसमें कोई बुराई नहीं. लेकिन भूत-पिशाच जैसे अंधविश्वास को बढ़ावा देना निंदनीय है. बता दें हर साल की तरह इस साल भी कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर हरिहर क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा भूतों का मेला लगने जा रहा  है। इस भूत मेले में एक रात में हजारों-लाखों लोग बुरी आत्माओं और भूतों को अपने ऊपर से भगाने के लिए पहुंचते हैं।

कार्तिक पूर्णिमा की रात से शुरू दिनभर चलने वाले इस विशेष मेले में दूर-दराज के लाखों लोग पहुंचते हैं और रातभर भूत भगाने का अनुष्‍ठान चलता रहता है, स्थानीय भाषा में इसे भूत खेली कहते है। यहां अंधविश्वास के कई अनुष्ठान की अनोखी तस्वीर देखने को मिलती है. यहां अजीबोगरीब दृश्य दिखता है। कहीं तो भूत भगाने के लिए महिलाओं को बालों से खींचा जाता है, तो कहीं छड़ी यानि स्थानीय भाषा में जिसे सन्टी कहते हैं, उनसे पिटाई की जाती है। भूतों के इस अजूबे मेले में आए ओझाओं के दावे भी आपको अजूबे लगेंगे। सबसे मजेदार बात ये होती है कि भूतों की भाषा सिर्फ ओझा और भगत समझते हैं।

हाजीपुर के कोनहारा घाट पर, पूरे बिहार के तांत्रिक पहुंचकर भूत खेली करते हैं और बुरी आत्माओं को शुद्ध करते हैं. तांत्रिक गंगा गंडक के संगम पर लाखों श्रधालुओं की भीड़ लगती है. पूरी रात भूत प्रेत से जुड़ा अनुष्ठान चलता है. कोनहारा घाट पर मौजूद तांत्रिक का दावा है कि इस कार्तिक पूर्णिमा में गंगा स्नान कराकर, नए भक्त को सिद्ध किया जाता है.  तांत्रिक बाबा का दाबा है कि कई फिल्म स्टार अभिनेता की आत्माओं को भी सिद्ध किया जाता है और बिना इलाज कराए हुए लोग स्वस्थ हो सकते हैं और जीवन खुशहाल हो सकती है

हाजीपुर के कोनहारा घाट ऐतिहासिक घाट है. इस घाट पर स्वयं भगवान विष्णु ने अवतार लिया था. इस घाट पर गज और ग्राह की लड़ाई हुई थी. जिसमें ग्राहक गज को पानी में खींच कर डुबो रहा था, तब गज भगवान विष्णु को याद किया और प्रार्थना किया तो भगवान विष्णु गज की रक्षा करने के लिए हाजीपुर के घाट पर अवतार लिए और गज और ग्राह की लड़ाई को खत्म किए और गज की भगवान विष्णु ने जान बचाई. तब से हाजीपुर घाट कोनहारा घाट के नाम से प्रचलित हो गई. इसका इतिहास बरसों पुराना है.

हाजीपुर से नवीन कुमार की रिपोर्ट

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