सिटी पोस्ट लाइव : छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है, यह त्योहार पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में मुख्य तौर पर मनाया जाता हे. वहीं अब देशभर के कई हिस्सों में इसका प्रचलन शुरू हो गया है. छठ पूजा में सूर्य देवता का पूजन किया जाता है और यह पर्व 4 दिनों तक चलता है. छठ का पर्व सिर्फ एक व्रत नहीं है, बल्कि एक कठिन तपस्या होता है। इसमें नहाय-खाय के बाद पहला दिन खरना का आता है। दूसरे दिन शाम को अर्घ्य और तीसरे दिन सुबह अर्घ्य देकर पारण किया जाता है। व्रत रखने वाली महिलाएं बहुत पवित्रता के साथ व्रत करती हैं और उन्हें परवैतिन कहा जाता है।
छठ में खरना का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत करने वाले व्यक्ति छठ पूजा पूर्ण होने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करता है। छठ में खरना का अर्थ है शुद्धिकरण। यह शुद्धिकरण केवल तन न होकर बल्कि मन का भी होता है। इसलिए खरना के दिन केवल रात में भोजन करके छठ के लिए तन तथा मन को व्रती शुद्ध करता है। खरना के बाद व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास व्रती रखेंगे.
खरना के दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति प्रसाद ग्रहण करता है,तो घर के सभी सदस्य शांत रहते हैं और कोई शोर नहीं करता, क्योंकि शोर होने के बाद व्रती प्रसाद खाना बंद कर देता है। व्रत करने वाला सबसे पहले प्रसाद ग्रहण करता है, उसके बाद ही घर के सभी सदस्य प्रसाद ग्रहण करते हैं। खरना प्रसाद को लेकर यह भी धार्मिक मान्यता है कि इस प्रसाद को खाने वाले लोगों को त्वचा संबंधी बीमारियां नहीं होती हैं।
छठ पूजा मुख्य तौर पर संतान प्राप्ति और संतान की लंबी उम्र के लिए होती है. साथ ही घर की सुख—शांति और समृद्धि के लिए भी यह पूजा की जाती है. छठ से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार छठी मैया को ब्रह्मा की मानसपुत्री और भगवान सूर्य की बहन माना जाता है. छठी मैया की पूजा करने से निसंतानों को संतान की प्राप्ति होती है.
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