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दशहरा के 5 दिन बाद शरद पूर्णिमा के दिन बक्सर में होता है रावण दहन

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सिटी पोस्ट लाइव : बक्सर जिले के इटाढ़ी थाने के के कुकुढा गांव में असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक विजयादशमी पर्व कुछ अलग ही ढंग से मनाया जाता है. यहाँ मशहूर रामलीला का आयोजन तो होता ही है साथ ही दशहरा के 5वें दिन रावण दहन किया जाता है. यहां श्रीराम के वन गमन की तिथि से रामलीला शुरू की जाती है. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन ही रावण के पुतले का दहन किया जाए. कुकुढा में इस साल भी शरद पूर्णिमा पर रावण वध की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं.

कुकुढा गांव के निवासी जनार्दन पाण्डेय के अनुसार नवरात्रि की पहली तिथि से रामलीला का शुभारंभ होता है. यहां की रामलीला की प्रस्तुति भी निराली है. देश भर में जहां रामलीला का प्रदर्शन भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव से होता है. यहां पहली नवरात्र को रामलीला का शुभारंभ श्रीराम के वन-गमन के दृश्य की प्रस्तुति व प्रसंग के साथ होता है. खास बात ये है कि रावण के साथ यहां मेघनाथ नहीं जलाया जाता है.मेघनाद का दहन एक दिन पहले ही हो जाता है.

पूर्णिमा पर आयोजित होने वाले इस रावण वध कार्यक्रम को देखने के लिए बहुत दूर-दूर से काफी संख्या में ग्रामीण यहां जुटते हैं. रावण वध कार्यक्रम के लिए यहां व्यापक प्रबंध किए जाते हैं. ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि आज भी वर्षों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया जाता है. हर जगह दशहरा पर मेले का आयोजन कर रावण वध हो जाने के कारण कुकुढा में शरद पूर्णिमा को मेले के आयोजन व रावण वध देखने के लिए दूर दराज से भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.

सुरेन्द्र पाण्डेय और कमलेश पाण्डेय के अनुसार रामलीला राम की शिक्षा से प्रारम्भ होती है, जिसमे पहले दिन की रामलीला पंचायत भवन में होती है. इसके बाद कुकुढा मिडिल स्कूल में चार दिन केवट प्रसंग, हिरण वध, सीताहरण का मंचन होता है. इसके बाद हनुमान मंदिर, जो पंपापुर के नाम से प्रसिद्ध है, वहां बाली वध दिखाया जाता है. इसके बाद की लीला असकामनी मैदान पर की जाती है, जहां पूर्णिमा को रावण वध के बाद पुतले का दहन कर दिया जाता है.

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