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गया : नवरात्र में मां मंगलागौरी शक्ति पीठ में होती है भक्तों की भारी भीड़, देश के कोने-कोने से आते हैं श्रद्धालु

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सिटी पोस्ट लाइव: बिहार के गया शहर के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित है मां मंगला गौरी शक्ति पीठ. मां मंगला गौरी शक्ति पीठ में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु पूजा करने के आते हैं. शारदीय नवरात्र में यहां पूजा करने का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा अर्चना करने से मां मंगलागौरी भक्तों की मनोकामना शीघ्र पूरी करती हैं. शारदीय नवरात्र को लेकर इन दिनों मा मंगला गौरी मंदिर का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है. मंगलागौरी प्रबंध कारिणी समिति के द्वारा मंदिर को आकर्षक फूलों एवं कृत्रिम रोशनी से सजाया गया है. जहां भक्त अहले सुबह से लेकर देर शाम तक कतारबद्ध होकर मां मंगला गौरी की विशेष रूप से पूजा अर्चना करते हैं.

मंदिर के मुख्य पुजारी अकाश गिरी बताते हैं कि मां मंगलागौरी शक्ति पीठ की महिमा अद्भुत है. पौराणिक मान्यता के अनुसार जब भगवान शिव माता सती के जलते शरीर को लेकर तांडव करते हुए आकाश मार्ग से जा रहे थे. तब उन्हें शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाकर माता सती के अंगो को कई भाग में विखंडित हो कर दिया. ऐसे में गया के भस्म कूट पर्वत पर मां का वक्षस्थल गिरा. तबसे इसे मां मंगलागौरी शक्ति पीठ के रूप में जाना जाता है. मंगलागौरी मंदिर के गर्भ गृह में मां का स्तन गिरा था, जो दो शिलाओं के रूप में विराजमान है. पहली शीला आगे की तरफ एवं दूसरी शीला पीछे की तरफ है.

पूरा गर्भगृह अंधेर में रहता है. इस मंदिर में किसी तरह की बल्ब या अन्य रोशनी जलाने की अनुमति नहीं है और ना ही मोबाइल लेकर भक्तगण अंदर जा सकते हैं. मंदिर के गर्भगृह के अंदर अखंड ज्योति जलती रहती है. इसी में भक्तगण माता के दर्शन कर पूजा-अर्चना करते. उन्होंने कहा कि विगत 2 वर्षों में कोरोना के कारण मंदिर का पट बंद था। ऐसे में भक्तगण बाहर से ही दर्शन कर चले जा रहे थे. लेकिन सरकार के द्वारा मंदिर का पट खोलने की अनुमति के बाद अब कोरोना गाईड लाइन के अनुसार भक्तों को दर्शन कराया जा रहा है. नवरात्र के महीने में यहां दर्शन करने से मां मंगला भक्तों की मनोकामना पूरी करती है. सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि रसिया एवं अन्य कई देशों से भी भक्तगण यहां आकर पूजा पाठ करते है.

सतयुग में जहां विष्णु ने स्वयं अपने श्री चरणों की छाप छोड़ी है. गयाजी धार्मिक नगरी है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में भगवान श्री राम ने यहां आकर अपने पिता दशरथ का पिंडदान किया था. द्वापर युग में पांडवों  के पद पड़े. इस मंदिर को असम के कामरुप कामख्या मंदिर के बाद संसार का दूसरा प्रमुख देवी मंदिर माना जाता है. जो अपने आप में अद्वितीय है. देवी के जिन 51 शक्तिपीठों में से 18 पीठों को महाशक्तिपीठ माना जाता है, उसमें इस स्थान का महत्व कामरुप कामख्या महाशक्तिपीठ के बाद आता है.

वही मंगला गौरी मंदिर में नागपुर और पटना से पूजा करने आए श्रद्धालु बताते हैं कि यहां कामरुप में महादेव पत्नी सती का योनि भाग गिरा था, तो यहां पर उनका स्तन भाग है. जिसके सहारे मां अपने बच्चों की क्षुधा शांत कर उसका पालन करती है. यही वजह है कि मां कामख्या की पूजा जगत जननी रुप में होती है. यहां पूजा करने से मां मंगला गौरी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है. परिवार की सुख-समृद्धि व स्वास्थ्य को लेकर हम लोग पूरे परिवार के साथ पूजा अर्चना करने आए हैं. नवरात्र में यहां पूजा अर्चना करने से विशेष फल मिलता है. मां की कृपा भक्तों पर हमेशा बनी रहती है. सरकार ने जो कोरोना को लेकर जो गाइडलाइन दिया है, उसके अनुसार हमलोग यहां कतारबद्ध होकर पूजा अर्चना कर रहे हैं.

गया से जितेन्द्र कुमार की रिपोर्ट

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