सिटी पोस्ट लाइव :बिहार में कदाचारमुक्त परीक्षा करना बेहद मुश्किल काम है. परीक्षार्थियों के बदले दूसरे प्रतिभाशालली छात्र-छात्राओं को परीक्षा में बिठाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.पुलिस ने एक ऐसे मामले का उद्भेदन किया है. पटना में आयोजित डीएलएड परीक्षा में 9 फर्जी परीक्षार्थियों को पकड़ा गया है. दूसरे के बदले बैठने वाली 4 महिलाओं और 5 पुरुषों को कंकड़बाग थाने की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. कागजात और तस्वीर में हेराफेरी कर यह सभी परीक्षा में बैठे थे. पकड़ी गई महिलाएं और पुरुष स्कॉलर हैं. कंकड़बाग थानेदार रविशंकर सिंह के अनुसार पूछताछ के बाद सभी आरोपितों को जेल भेज दिया गया है. दूसरी ओर डीएलएड परीक्षा में सेंटर का खेल सामने आने के बाद सॉल्वर गैंग पर शक की सुई घूमने लगी है.
असली परीक्षार्थी रिंकू कुमारी थी जबकि उनके बदले में छपा ही राजनगर मधुबनी की गुड़िया कुमारी परीक्षा में बैठी थी. शैलेंद्र कुमार असली परीक्षार्थी थे जबकि उसके बदले अनीश कुमार मधेपुरा श्रीपुर के रहने वाले बैठे थे. सुरुचि कुमारी असली अभ्यर्थी थी जबकि उसके बदले अर्चना कुमारी धराहरा सिवान नालंदा की रहने वाली परीक्षा में बैठी हुई थी. वीरेंद्र कुमार यादव के बदले फुलपरास मधुबनी के उमेश कुमार बैठे हुए थे.इसी तरह रंजीत कुमार के बदले निर्मली सुपौल के मनोज कुमार, विनोद कुमार मंडल के बदले मरौना सुपौल के जितेंद्र कुमार, शिवम सौरव के बदले फुलपरास मधुबनी के रंजीत कुमार, गुड़िया कुमारी के बदले मनीषा कुमारी उर्फ अमिता कुमारी बेन नालंदा की रहने वाली वह बैठी हुई थी. गुंजन करा कुमारी के बदले अंजली कुमारी मधेपुरा ग्वालपाड़ा की रहने वाली फर्जी अभ्यर्थी परीक्षा में बैठी हुई थी.
पटना पुलिस के अनुसार स्कॉलरों के अलावा अन्य अभ्यर्थियों पर भी केस दर्ज किया गया है, जिनकी जगह पर ये सभी परीक्षा में बैठे थे. पकड़े गए आरोपी मधुबनी मधेपुरा नालंदा सुपौल व अन्य जिलों के पकड़े गए स्कॉलरों से पूछताछ के दौरान कई राज खोले हैं. इन सभी के पास से पुलिस ने मोबाइल भी बरामद किए हैं मोबाइल की कॉल डिटेल्स के जरिए पुलिस यह पता लगा रही है कि परीक्षा के पहले आरोपितों की बातचीत किन-किन लोगों से हुई थी. जिस शख्स ने इन स्कॉलरों को परीक्षा में दूसरे की जगह बैठने का ऑफर दिया था उसके बारे में भी पुलिस को अहम जानकारी हाथ लगी है. 50 हजार रुपये में सेंटर ने 4 महिलाओं और 5 पुरुषों को दूसरे की जगह परीक्षा में बैठने का सौदा तय किया था. एडवांस के तौर पर कुछ पैसे पहले दिए जा चुके थे जबकि बाकी के रूप में परीक्षा के बाद मिलते. लेकिन, उससे पहले ही सभी पकड़े गए.
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