सिटी पोस्ट लाइव : पिछले दो महीने से बाढ़ का कहर बिहार झेल रहा है. लगातार हो रही बारिश और उफनती नदियों ने ग्रामीण इलाकों को पानी में डुबो दिया है. कई इलाकों का शहर से संपर्क पूरी तरह से समाप्त है. हालांकि पिछले दिनों बाढ़ का पानी थोड़ा बहुत कम तो हुआ लेकिन एक बार फिर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. बीते 48 घंटे से नेपाल और उत्तर बिहार, कोसी, सीमांचल व पूर्वी बिहार के जिलों में हुई भारी बारिश से गंडक, बागमती, कमला, कोसी समेत अन्य नदियां उफना गई हैं. इससे राज्य में एक बार फिर से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. नदियों में बढ़ते जलस्तर के कारण शनिवार को चंपारण व मिथिलांचल के कई गांवों में बाढ़ का संकट खड़ा हो गया.
गोपालगंज, सारण और वैशाली में भी गंडक उफान पर हैं.गोपालगंज में जलस्तर में प्रति घंटे 5 सेंटीमीटर की वृद्धि हो रही है. जिले में 40 गांव फिर बाढ़ से घिर गए हैं. अब तक तटवर्ती गांवों के दो हजार घरों में बाढ़ का पानी घुस चुका है. शुक्रवार की सुबह वाल्मीकिनगर बराज से छोड़ा गया 4 लाख 4 हजार क्यूसेक पानी जिले होकर गुजरने लगा है. वहीं शनिवार को भी 2.70 लाख क्यूसेक पानी वाल्मीकिनगर बराज, जबकि 2.17 लाख क्यूसेक पानी कोसी बराज से छोड़े जाने से स्थिति भयावह हो गई है. इधर, सारण में डबरा नदी का बांध टूटने से दर्जनभर गांव जलमग्न हो गए हैं. उत्तर बिहार में बाढ़ से सवा लाख आबादी प्रभावित हुई है.
बता दें उधर भागलपुर में भी बाढ़ का कहर कम नहीं हुआ है. हालांकि गंगा नदी के पानी के जलस्तर में थोड़ी कमी तो आई है. लेकिन अब भी गांव में पानी भरा हुआ है. जिससे कई तरह की बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है. गौरतलब है कि बारिश के बाद जिस तरह से नदियों के पानी का जलस्तर बढ़ रह है, उससे फिर एकबार वो ग्रामीण इलाकें जहां पानी कम होने से थोड़ी राहत मिली थी. उन्हें फिर बाढ़ की विभीषिका झेलनी पड़ सकती है.
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