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पुलिस ने दिखाई इंसानियत, ट्रैफिक इंस्पेक्टर नागेंद्र राम ने ब्लड डोनेट कर बचाई मरीज की जान

खाकी के भीतर भी धड़कता है दिल

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सिटी पोस्ट लाइव : लोगों के मन अक्सर पुलिस वालों को लेकर यही धारणा बनती है कि पुलिस वाले जल्लाद और आदमखोर होते हैं। हांलांकि अमूमन पुलिस वालों की हरकत भी ऐसी ही होती है कि उन्हें इंसान कहने में भी दिक्कत आती है। लेकिन बिहार के सहरसा जिले के यातायात निरीक्षक नागेंद्र राम ने एक ऐसी मजबूर और लाचार महिला को अपना ब्लड दिया, जिसे चार यूनिट ब्लड चढ़ाए जाने के बाद ही उनका ऑपरेशन किया जाना है। सुपौल जिले के मानगंज की रहने वाली सुधा सिंह का यूटरस में अप्रत्याशित रूप से सिस्ट बढ़ जाने से उनका ऑपरेशन किया जाना है लेकिन उनका होमोग्लोबिन काफी कम है।

सहरसा जिला मुख्यालय के नया बाजार स्थित आयुष-अर्णव नर्सिंग होम के डायरेक्टर डॉक्टर अजय कुमार सिंह, उक्त मरीज का ऑपरेशन करेंगे। डॉक्टर अजय कुमार सिंह ने बताया कि मरीज की स्थिति गम्भीर है लेकिन समय से चार यूनिट ब्लड का इंतजाम कर, मरीज के परिजनों ने मरीज की एक तरह से जान बचाने में महती भूमिका निभाई है। मरीज के परिजनों में रोमन सिंह, विक्की सिंह, गगन सिंह, शुभम सिंह और मोनू सिंह की भूमिका सराहनीय रही। डॉक्टर अजय कुमार सिंह ने कहा कि मरीज का रविवार को ऑपरेशन किया जाएगा। अब कोई घबराने की बात नहीं है।

ब्लड डोनेट करने के बाद ट्रैफिक इंस्पेक्टर नागेंद्र राम ने कहा कि ईश्वर ने उन्हें पुण्य का अवसर दिया। वे ब्लड डोनेट कर के काफी खुश हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस वाले भी इंसान होते है। उनके भीतर भी धड़कता हुआ दिल है। उन्होंने पुलिस वालों से लेकर, आम लोगों से आग्रह किया कि तीन महीने में एक बार वे रक्तदान कर सकते हैं। इस रक्तदान से जहाँ किसी की जान बचेगी, वहीं रक्तदाता भी शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगे। वाकई, जल्लाद और आदमखोर समझी जाने वाली खाकी के अंदर भी इंसान बैठा होता है, उसे इंस्पेक्टर नागेंद्र राम ने साबित कर दिया है। यहाँ, यह बताना भी जरूरी है कि जबसे सहरसा पुलिस कप्तान के तौर पर लिपि सिंह ने कमान अपने काँधे पर लिया है, तभी से सहरसा पुलिस की भ्रष्ट और बिगड़ैल कार्यशैली में बहुत बदलाव और सुधार आया है। मोहतरमा लिपि सिंह की वजह से लोग पुलिस वालों पर अब, धीरे-धीरे भरोसा करने लगे हैं।

पीटीएन ग्रुप के मैनेजिंग एडिटर मुकेश कुमार सिंह

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