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उप्र से गिरफ्तार संदिग्ध अलकायदा आतंकियों को कानूनी सहायता देगी जमीयत

निर्दोष मुसलमानों की सम्मानजनक रिहाई तक हमारा कानूनी संघर्ष जारी रहेगाः मौलाना अरशद मदनी

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नई दिल्ली: धार्मिक, शैक्षिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में काम करने वाले मुसलमानों का सबसे बड़ा संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद नाजायज मुकदमों में फंसे लोगों को कानूनी मदद देने का दायित्व भी निभाता रहा है। इसी के तहत अब जमीयत ने गत दिनों उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार अलकायदा के संदिग्ध आतंकियों को कानूनी सहायता देने का निर्णय लिया।

दरअसल आरोपितों के परिवार वालों ने इस सम्बंध में जमीयत से मदद की गुहार लगाई थी। इसके बाद ही जमीयत ने यह निर्णय लिया है। जमीयत कानूनी इमदाद कमेटी के अध्यक्ष गुलजार आजमी ने बताया कि आरोपितों के परिवार वालों की ओर से कानूनी सहायता का अनुरोध प्राप्त होने और अध्यक्ष जमीयत उलमा-ए-हिन्द मौलाना सैयद अरशद मदनी के आदेश पर आरोपितों को क़ानूनी सहायता देने के लिए एडवोकेट फुरक़ान ख़ान को नियुक्त किया गया है। उन्हें निर्देश दिया गया है कि वह अदालत से मुकदमे से सम्बधित दस्तावेज को एकत्र करें जिसमें रिमांड रिपोर्ट, एफआईआर की प्रति और अन्य चीजें शामिल हैं। वर्तमान में आरोपित पुलिस हिरासत में हैं और मुकदमे की अगली सुनवाई पर आरोपितों के बचाव में एडवोकेट फुरकान अदालत में उपस्थित रहेंगे।

गुलजार आज़मी ने कहा कि लखनऊ के प्रसिद्ध और वरिष्ठ एडवोकेट मुहम्मद शुएब ने भी जमीयत उलेमा-ए-हिंद से आरोपितों का मुक़दमा लड़ने का अनुरोध किया था। इस पर मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत के प्रयासों से अब तक सैकड़ों युवक आतंकवाद के मुकदमों में रिहा हो चुके हैं जो यह प्रमाणित करता है कि जांच एजेंसियां बिना ठोस सबूत के धार्मिक पक्षपात के आधार पर मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार कर लेती हैं। एक लम्बे समय के बाद अदालतें उन्हें सम्मानजनक तरीके से बरी कर देती हैं लेकिन प्रश्न यह है कि जांच एजेंसियों के इस पक्षपातपूर्ण रवैये से मुस्लिम युवकों के जो जीवन के कीमती दिन जेलों में बर्बाद हो जाते हैं, उन्हें कौन लौटाएगा। इसीलिए जमीयत ने इस तरह के मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक अदालत की मांग की थी ताकि जल्द ट्रायल हो सके। अगर वास्तव में यह दोषी हैं तो सज़ा मिले। अगर निर्दोष हैं तो उन्हें रिहा कर दिया जाए।

मौलाना मदनी ने इस संकल्प को दोहराया कि जमीयत आतंकवाद के मामलों में मुसलमानों की सम्मानजनक रिहाई तक अपना संघर्ष जारी रखेगी। गुलजार आजमी के नाम पत्र में आरोपित मिनहाज अहमद के पिता सिराज अहमद ने लिखा है कि मेरे बेटे मिनहाज अहमद को एटीएस के लोग प्रातःकाल आतंकवाद के आरोप में जबरदस्ती गिरफ्तार कर के ले गए हैं। मैं ख़ुद सरकारी कर्मचारी था और अल्लाह का आभारी हूं कि मेरी जिंदगी हर प्रकार से साफ है और मैंने अपने बेटे की अच्छी परवरिश की है। मैंने उसको ग़लत लोगों की संगत से दूर रखा। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि मेरे बेटे के सिलसिले में सहायता करें और मुकदमे के संबंध में मेरी भरपूर मदद करके आभार प्रकट करने का अवसर दें। मैं इस योग्य नहीं हूं कि मुकदमे लड़ सकूं।

उल्लेखनीय है कि उतर प्रदेश के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने 12 जुलाई को अलकायदा के नाम पर दो मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार किया है जिन पर भारत में आतंकी गतिविधियां चलाने का आरोप लगाया गया है। गिरफ्तार युवकों में मुसीरुद्दीन और मिनहाज अहमद शामिल हैं। आरोपितों को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया है। उनके कब्जे से पिस्तौल, प्रेशर कूकर और आईईडी विस्फोटक जब्त करने का दावा किया गया है।

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