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जनसंख्या नियंत्रण बिल को लेकर अलग-थलग पड़ गये हैं नीतीश कुमार.

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सिटी पोस्ट लाइव :जनसँख्या नियंत्रण कानून को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं.ये अजेंडा तो बीजेपी का है ही साथ ही उनके मंत्रीमंडल के सदस्य, और उनकी पार्टी के नेता भी जनसँख्या नियंत्रण कानून की हिमायत करने लगे हैं जिसे नीतीश कुमार ख़ारिज कर चुके हैं.अब बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा ने खुलकर जनसंख्या नियंत्रण बिल का समर्थन कर दिया है.. सिन्हा के अनुसार पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर अब लोग चाह रहे हें कि जनसंख्या का नियंत्रण हो सके. अब चाहे इसके लिए जागरुकता अभियान हो, सामाजिक स्तर पर संकल्प लेने की जरूरत हो या फिर कानून बनाकर इसकी व्यवस्‍था करनी हो. किसी भी रूप में हो लेकिन जनसंख्या का नियंत्रण जरूरी है.

विजय सिन्हा इन दिनों दिल्ली के दौरे पर हैं और लोकसभा अध्यक्ष समेत कई केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात भी कर रहे हैं.बिल का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि ये राष्ट्रहित में आवश्यक है. सिन्हा ने जानकारी दी कि विधानसभा का मानसून सत्र 26-30 जुलाई तक है. उन्होंने कहा कि पिछली बार 22 दिन में 21 दिन सत्र चला. पिछले सत्र में हुई घटना को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि जिन्होंने गलत किया है उन पर कार्रवाई के लिए प्रकिया जारी है. दोषी विधायकों और अधिकारियों पर कार्रवाई होगी. विपक्ष के विधानसभा सत्र के बहिष्कार की संभावना पर उन्होंने कहा कि इसकी कोई जानकारी नहीं है. लेकिन, जनता के विश्वास पर खरा उतरने की सबकी जिम्मेदारी है.

इससे पहले बीजेपी के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाए जाने की वकालत करने हुए कहा कि जनसंख्या बढ़ाने की बात करने वाले देश की संप्रभुता पर आघात करते हैं. उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने पहले ही राज्यसभा में प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया था. अब 19 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में इस पर चर्चा की संभावना है. राकेश सिन्हा ने कहा, कि मैंने जो प्राइवेट मेंबर बिल इंट्रोड्यूस किया था उस पर इस सत्र में चर्चा में आने की पूरी संभावना है.

उन्होंने जनसंख्या और संसाधन में असंतुलन को लेकर अपनी चिंता जताते हुए कहा कि आने वाले दिनो में संसाधन की कमी हो जाएगी इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून जरूरी है. क्षेत्रीय और धार्मिक असंतुलन को खत्म करने के लिए भी उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कानून को जरूरी बताया. राकेश सिन्हा ने केरल का उदाहरण देते हुए कहा कि केरल में हिंदू जनसंख्या 2 प्रतिशत के दर से, मुस्लिम जनसंख्या 12 प्रतिशत जबकि ईसाई जनसंख्या 1.8 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है.

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