सिटी पोस्ट लाइव : जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर बिहार की राजनीति गरमा गई है.सबसे खास बात ये है कि इस मुद्दे पर उनके दल के नेता -और कैबिनेट के मंत्री ही सवाल उठा रहे हैं.मुख्यमंत्री जनसँख्या नियंत्रण कानून के पक्ष में नहीं है लेकिन उनके ही कैबिनेट के मंत्री जनसँख्या नियंत्रण कानून को बिहार में लागू किये जाने की मांग कर रहे हैं.सबसे पहले उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ ( CM Yogi Aditya Nath) के जनसंख्या कानून के मसौदे का समर्थन किया.फिर बिहार की डिप्टी सीएम रेणु देवी (Renu devi) ने भी सीएम नीतीश की बातों का विरोध कर दिया. अब बिहार के पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी (Panchayati Raj Minister Samrat Choudhary) ने जनसंख्या कानून का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि हर हाल में जनसंख्या नियंत्रण कानून बनना चाहिए. इसको लेकर कहीं कोई भी भ्रम नहीं है.
सम्राट चौधरी ने कहा कि यह बहुत स्पष्ट है कि इस देश में 200 प्रतिशत जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू होना चाहिए. इसमें कोई दो मत नहीं. बिहार में पहले ही नगर निकाय में यह कानून लागू है. अब समय गया है कि इसे पंचयतों में भी लागू किया जाना चाहिए. बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने ही कानून बनाया है जो नगर निकायों में लागू है, तो आगे की कार्रवाई में दिक्कत थोड़े ही है. सम्राट चौधरी ने कहा कि नीतीश ने इस संदर्भ में कहा कि लड़कियों में शिक्षा बढ़ने से प्रजनन दर में कमी आई है न कि इसका विरोध किया है.पंचायती राज मंत्री की बातों से तो यही लगता है कि सीएम नीतीश भी इस दिशा में कार्य कर रहे हैं. इस मसाले को लेकर बीजेपी और नीतीश कुमार के बीच मतभेद जगजाहिर है.इस मसले पर जेडीयू के नेताओं के भी अलग-अलग बयान सामने आ रहे हैं. जदयू के उपेन्द्र कुशवाहा ने भी यूपी की योगी सरकार के लाए गए जनसंख्या नियंत्रण कानून को समर्थन दिया है.
उपेन्द्र कुशवाहा ने योगी सरकार के उत्तर प्रदेश में लागू किए गए जनसंख्या नियंत्रण कानून का समर्थन करते हुए कहा कि समय के अनुसार बिहार में भी इसकी आवश्यकता बढ़ गयी है, क्योंकि जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है उसका असर विकास पर ही दिखेगा. राज्य सरकार को भी परामर्श कर इस कानून को लागू करने की आवश्यकता है. वहीं, इस मसले पर कांग्रेस पार्टी ने सीएम नीतीश का सपोर्ट करते हुए कहा कि जागरूकता की अधिक जरूरत है न की कोई कानून थोपने की.सवाल ये है कि मुख्यमंत्री से अलग राय उनके ही कैबिनेट के मंत्री क्यों रख रहे हैं? क्या ऐसे में मुख्यमंत्री सहज मह्सुश कर पायेगें.
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